Wednesday, March 27, 2013

लला फिरि आये हो खेलन होरी


अंग्रेजों ने जानबूझकर आय -व्यय का लेखा जोखा अप्रेल से मार्च तक रखा .उन्हें मालूम था कि भारतीय फागुन में बौरा जाते हैं ,आम पर बौर आने के साथ .बसंत पंचमी से लेकर मदनोत्सव तक इन बैशाखनंदनों की जेब मजे  से काटी जा सकती है .किसी बिना बौराए चतुर को पता चल भी जाये तो राम बाण है -बुरा न मानो होली है .पद्माकर की गोपियों ने सोलह कलाओं में प्रवीण कृष्ण को ऐसे ही बेवकूफ बनाया था -लला फिरि आइयो खेलन होरी -नैन नचाकर मुस्कराकर कोई भी नायिका या व्यापारी गुणग्राहक को ठग लेता है .छछिया भरि छाछ पे नाच नचाना क्या मामूली कला है ?

बजट भी ऐसी ही कला है -कुछ न देकर सबकुछ लूट लेना .दिल लूटने वाले जादूगर से बच भी कौन सकता है .भारतीय जनता तो नागिन की धुन सुनते ही सुध बुध खो बैठती है .तन डोले, मेरा मन डोले, मेरे दिल का गया करार रे ,अब कौन बजाये  बांसुरिया ?तमाम विदेशी निवेश के नाम पर ऐसे -ऐसे करार कर रहे हैं कि उनकी गोपनीय शर्तें तक तब खुलेंगी जब सब कुछ लुट चुकेगा और हर नागरिक के हाथ में भीख का कटोरा होगा .हम तब भी नाच -नाच कर गायेंगे -बलि जाऊं लला इन बोलन की .ऐसे ही हमने विभाजित नकली आजादी का जश्न मनाया था और मनाते रहेंगे .

दरअसल इतनी भारी आबादी को लम्बे समय तक मूर्ख भी नहीं बनाया जा सकता ,इसलिए हर रोज नई तरकीबें अपनानी पड़ती हैं .इस काम में इलेक्ट्रोनिक मीडिया और फिल्मों ने देश के नायकों का सारा सरदर्द अपने सर लेकर उन्हें आजाद कर दिया है .ज्योंही कोई परेशानी खड़ी होती है -जनता को कोई नई बाबी टाइप फिल्म दिखा  दी जाती है और नहीं तो क्रिकेट मैच तो ऐसी अमोघ -अचूक दवा है कि  एने,स्थीसिया भी फेल .ऊंटों की चोरी खुल्लमखुल्ला .बड़े -बड़े घोटाले मक्खी -मच्छर की तरह साफ -हिट-फिट फार्मूला .बस ढूंढते रह जाओगे ?बच्चे तो बच्चे बूढ़े तक विज्ञापनों के दीवाने हो जायेंगे. सदी का महानायक तक चूरन -चटनी -तेल -फुलेल बेचने लगेगा .सेक्सी कामेडी के तडके में सब लोट पोट-लहालोट .नैतिकता सिर्फ पहलवानों के लंगोट तक सिमट जाएगी और हर माता बहन मस्त -मस्त चीज में बदल जाएगी .ज्यादा किसी को परेशानी हो तो जंतर -मंतर पर मोमबत्ती जलाने को आजाद है .

लेकिन अब भी कुछ मूर्खों को यकीन है  कि सतयुग आएगा ?जब लोग हगना- मूतना बंद कर देंगे .सब तरफ हरियाली -खुशहाली होगी .ऐसे लोग बड़ी -बड़ी सोसाइटियों में रहने चले गये हैं -कुछ चाँद और मंगल पर जाने का प्लान बना रहे हैं केवल अपुन हैं जो इसी नरक को अपना स्थायी भाग्य समझकर खुश हैं 

इसीलिए अपुन का बजट तो दिवाळी पर आएगा .यह बजट  मूर्खों को मुबारक हो .