Saturday, October 31, 2015

चुनावकाले मर्यादा नास्ति

# मूलचन्द्र गौतम
अब तक सिर्फ युद्ध और प्रेम में सब कुछ जायज था ,इस सूची में चुनाव को भी जोड़ने के लिए संसद ने सांसदों की पेंशन ,भत्तों की तर्ज पर सर्वसम्मति से एक संशोधन पास कर लिया है .जब से चुनाव मंहगा हुआ है तब से उसके खर्च की सीमा बढ़ाने की कवायद चल रही थी जो संशोधन से असीम कर दी गयी है .साकार से निराकार की तरह .अब इस वैतरणी में धोती चप्पल मार्का  गरीबों को सिर्फ वोट देने का अधिकार होगा ,चुनाव लड़ने  में उनका प्रवेश अंग्रेजों के जमाने के क्लबों की तर्ज पर वर्जित है .
खेल के अजीबोगरीब नियमों और तकनीकों  के कारण भारतीय खिलाडी मामूली से मामूली प्रतियोगिताओं में फिसड्डी रह जाते हैं .अबकी बार ओलम्पिक में भी कोई नियम लागू नहीं होगा –पाला चीर कबड्डी की तरह . कोई रेफरी नहीं होगा .मुक्केबाजी में भी जो खिलाडी विरोधी की हड्डी –पसली एक करके उसे चकनाचूर कर देगा ,उसी को गोल्ड मैडल दिया जायेगा .पहलवानों को सोने की गदा मिलेगी और दूध पीने के लिए दो जर्सी गायें .खेल में जुए –सट्टे को शामिल किया जाएगा .नारा होगा –मेरी मर्जी .सब नियम दबंगों की मर्जी से तय होंगे .इस में जो बीच में बोलेगा बे भाव पिटेगा .बूढा ,बच्चा ,महिला कोई नहीं बचेगा .लेखक ,कलाकार ,वैज्ञानिकों को तड़ीपार कर दिया जाएगा .
जो गंवार क्रिकेट को भद्र लोगों का खेल कहते  थकते नहीं थे  ,उन्हें पता होना चाहिए कि अब ऐसा नहीं रहा .मैदान पर खूब लातें और घूंसे चलते हैं .अम्पायर भी मास्टरों की तरह  पिटते हैं .सारे प्रहार चौके और छक्के माने जायेंगे .एक और दो रन खत्म .भारत और पाकिस्तान के मैचों के नियम अलग होंगे .उसमें बल्ले और बाल की जगह तोप ,टैंक और तमंचे चलेंगे .आखिरी हार जीत एटम बम से तय होगी .
चुनाव में भी  अब चुनाव आयोग और आयुक्तों  की भूमिका सिर्फ क्लर्कों की तरह होगी .इसमें सकुशल  बड़े बड़े घोटाले  संपन्न कराने वालों को प्राथमिकता दी जायेगी .नौकरशाह सिर्फ सीटी बजायेंगे –पांडे जी की तरह .सब कुछ फ़िल्मी और हाई फाई होगा।साम दाम वाली पुरानी तकनीक से काम नहीं चलेगा .टोटल चुनाव व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के लिए लड़ा जायेगा ,जिसमें न कोई विचार होगा ,न आचार.किसी की भी माँ-बहन-बेटी को नहीं छोड़ा जाएगा .सबकी इज्जत तार –तार बेतार कर दी जाएगी ,इसके बाद जो थोड़ी बहुत बच जाएगी उसे चौराहे पर या बीच बाजार में नीलाम कर –करा दिया जाएगा .नहीं तो उसकी हिंदी कर दी जायेगी।
# शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741

Friday, October 30, 2015

नंगों का नहान


# मूलचन्द्र गौतम
 विकास के तमाम दावों और वादों के बीच हिंदुस्तान में आज भी भूखे नंगों का बहुमत है , अल्पसंख्यक सिर्फ अमीर हैं जिनका जमीर बेहद गडबड है .फिल्मों में भी इन्हीं अमीरों की चमाचम दुनिया है जो इन भूखे नंगों को लुभाती है और वे इसके हीरो –हीरोइनों के सपनों में खोये रहते हैं .चतुर सौदागर हर पांच साल बाद पुराने सपनों को नई पालिश से चमकाकर उन्हें बार –बार चपेक देते हैं .चौकीदार रात दिन सिर्फ चिल्लाते रहते हैं –तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा .कथावाचक इस धोखे  की इस कडवी गोली को माया महाठगिनी के विराट रूपक की चाशनी में लपेटकर धर्मभीरु जनता के गले उतारते रहते हैं .
लेकिन नंगा क्या तो नहायेगा और क्या निचोडेगा ?उसके पास है क्या एक चोटी और लंगोटी के सिवा ?गांधीजी नंगों की ऐसी हालत देखकर खुद लंगोटी में आ गये थे और उसी को पहनकर लन्दन तक जाते थे .यही लंगोटी वाला उनका आखिरी आदमी था जो आज तक उसी पोज में खड़ा है फोटो खिंचवाने के लिए .चोटी उनके पास नहीं थी क्योंकि उसके होने से बाकी चोगे ,पगड़ी ,दाढ़ी वालों के भडकने का अंदेशा था .चाणक्य की तरह चोटी खोलकर उन्होंने अंग्रेजों को बर्बाद करने की कसम भी नहीं खाई थी .दरअसल यह उनकी व्यक्तिगत मूंछ और पूंछ की इज्जत की लड़ाई थी भी नहीं .वर्ना तो आजादी के तुरंत बाद उन्हें देश का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री बनने से कौन रोक सकता था ?
 देश में आजकल पुरस्कारों के लौटाने की झड़ी लगी है ,जैसे ये  अनार ,पटाखे और फुलझड़ी हों . सुप्रीमकोर्ट भी इसमें दखल देने को तैयार नहीं .सरकार परेशान है इस खुजली की बीमारी से जो दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है .जैसे भारी बहुमत और जनादेश पर खुजली भारी हो ?आपातकाल में भी यही खुजली इन तथाकथित बौद्धिकों के दिमाग में घुस गयी थी जिसका इलाज बड़ी मुश्किल से हो पाया था .इस बीमारी को जल्दी जड़ से खत्म नहीं किया गया तो अंदेशा है कि यह महामारी बनकर आम जनता के तन –मन को ग्रसित कर देगी और फिर लाइलाज हो जायेगी . इसलिए इन्हें सायबेरिया जैसी जगह ले जाकर बौद्धिक डोज दी जाएगी ताकि इनका दिवालियापन दूर हो  . देश का आलाकमान परेशान है कि भूखी नंगी जनता के पास लौटाने  को भले भारी तमगे न हों लेकिन उसने देश की नागरिकता लौटना या उतारकर फेंकना शुरू कर दिया तो क्या होगा ?भूखे नंगों के पास लौटाने को कुछ न हो लेकिन उनकी हाय और बददुआओं से तो बड़ी –बड़ी सल्तनतें हिल जाती हैं .फ़िलहाल तो सत्ता ने फौरी कार्यवाही के तौर पर  भेड़ों को बाड़ों में बाँट दिया है .
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शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
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Friday, October 23, 2015

पल्ला झाड़ो-तमाशा देखो

# मूलचन्द्र गौतम
सृष्टि के प्रारम्भ से ही मनुष्य को यह सवाल परेशान करता रहा है कि खुदा ने किसी भी जीव की जीभ में हड्डी क्यों नहीं लगाई ? कम से कम नेताओं की में तो लगा ही देता ताकि वह जनता से  कभी झूठे वादे नहीं कर पाता. अगर लगाईं होती तो अच्छा रहता क्योंकि फिर वह अपने कहे पर कायम रहता और बार –बार यू टर्न नहीं ले पाता .बिना हड्डी के उसे सुविधा रहती है कि अपनी कही बात का जिम्मा औरों पर डाल सके की उसका यह मतलब नहीं था कि मीडिया तोड़ मरोड़कर  उनका गलत अर्थ निकाल रहा है . जीभ का यही लचीलापन उसे धडल्ले से झूठ बोलने की आजादी देता है .कहते तो यह भी हैं की हमेशा सच बोलने वालों की जीभ में हड्डी होती है . आदिवासी आज भी झूठ नहीं बोल पाता . कत्ल करके थाने पंहुच जाता है .
रहिमन जिह्वा बावरी कहि गयी सरग पताल,आपुन तो भीतर गयी जूती खात कपाल . ऐसी ही बदजुबानी पर जुबान खींच लेने की धमकी दी जाती है .घोड़े की जुबान पर भी इसीलिए लगाम लगाई जाती ताकि वह नेताओं की तरह फिसल न जाए .स्लिप ऑफ़ टंग.जीभ में हड्डी होती तो यह नौबत ही नहीं आती .
स्वाद और वाद दो ही बड़ी कमजोरी हैं जीभ की .इन्हीं में जीव माया में फंसता है फिर सीबीआई में उसकी दुर्गति होती है .सतयुग में ऐसा कुछ नहीं होता था .कलिकाल की यह अनिवार्य बीमारी और बुराई है .सतयुग में गलती से भी किसी से गौ हत्या का पाप हो जाता था तो कलंकी मरी हुई गाय की पूंछ बांधकर गाँव –गाँव अपने पाप का प्रायश्चित्त करता हुआ तब तक घूमता रहता था जब तक कि इलाके की जनता उसे माफ़ नहीं कर देती थी .अब कुछ नहीं होता .सामूहिक जनसंहार की कोई सजा है न सुनवाई .किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं .सब अपना पल्ला झाड़कर पाप दूसरे के पल्ले बाँध देते हैं और फिर उसे ये पल्लेदार जिन्दगी भर अपने सिर और पीठ पर ढोते रहते हैं .
जिम्मेदारी से पल्ला झड़ने की कला ही मॉडर्न मैनेजमेंट का अहम हिस्सा है जो सिर्फ हार्वर्ड में उपलब्ध है .पुराने जमाने के नेता कुछ भी गलत होते ही पहला काम पद से इस्तीफा देने का करते थे अब लाख लोग चीखते –चिल्लाते रहें उनके कान पर जूँ नहीं रेंगती .यह बेशर्मी बड़ी अविचल  साधना की मांग करती है जिसे साधकर कोई भी सिद्ध पुरुष हो जाता है –परम योगी –परमहंस .शुद्ध-बुद्ध और निरंजन .
# शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741