Friday, January 3, 2014

आम और केले की लड़ाई

आम और केले की लड़ाई

रामलाल कई दिन से पीछे पडा है यह जानने को कि यह बनाना रिपब्लिक और मैंगो पीपुल क्या बला है ?बार –बार मना करने के बावजूद अड़ा है कि मालूम करके ही रहेगा .बिहार में मास्टरों की पात्रता परीक्षा की बुरी खबर से मेरी हालत खराब है .बताइए यह भी कोई बात हुई कि केलकुलेटर और कम्प्यूटर के दौर में मास्टर गिनती ,पहाड़े ,पौआ,अद्धा ,पौना खुद रटें और बच्चों को रटाये.एक से एक नयी शब्दाबली आ रही है .सबको जानने का ठेका मास्टरों ने ही ले रखा है क्या ?भूगोल के मास्टरों को अपने देश के बारे में नहीं मालूम विदेश की कौन बात करे .गूगल ब्यॉय ओर गर्ल से पूछो या सीधे गूगल दादा का ही sir चाटो .
लेकिन साब रामलाल तो बस रामलाल हैं .मैंने टरकाया कि देखो आम फलों का राजा है न तो बस समझो कि लोकतंत्र में आम आदमी भी राजा है ,जिसे चाहे sir सिर पर बैठा ले और जिसे चाहे धूल चटा दे .अब बनाना –यानी केला उसकी जगह थोड़े ही ले सकता है वैसे भी बड़े –बूढ़े घर में केले का पेड़ लगाने को मना करते हैं क्योंकि केला –अकेला रह जाता है या अकेले रहना पसंद करता है ,फल भले गुच्छे में लगता हो .फिर आम जितने प्यार और ललक से खाया जाता है ,उतना केला नहीं .केला लक्ष्मी की तरह चंचल होता है ..
जान हार धन कैसे जाये,जैसे हाथी केला खाये.अब ढूंढती रहे सीबीआई हाथी के गोबर को .रामलाल यह सुनकर बिफर उठे –मास्साब गोबर क्यों कहते हैं ?दरअसल रामलाल हरनारायण पाण्डे की सोहबत में बिगड़ रहा है .हर समय ग्राम्यत्व दोष में डूबा रहता है .गंदगी कुरेदने का कोई भी मौका मिल जाये बस ,दोनों उसकी तह क्या तलहटी में पंहुच जायेंगे तुरंत .दिखावें भेली देंगे चिरकुना.अब ढूंढते रहिये कि चिरकुना क्या है ?हर समय अज्ञान की परीक्षा कौन दे ?मैं तो मुंह ही नहीं लगाता ऐसों को .करते रहें ससुरे अपना राग दरबारी .
मुझे संतोष है कि कई दिन से रामलाल ने मुझसे फिर यह सवाल नहीं पूछा है ,क्योंकि मुझे खुद नहीं
मालूम कि लड़ाई में कौन जीतेगा –बनाना या मैंगो ?
#मूलचन्द गौतम,शक्तिनगर ,चन्दौसी,संभल ,उ .प्र.244412 मोबाइल-9412322067