मोदी की बदलती छवि
पर मुग्ध आलोचक सुधीश पचौरी
बलि जाऊं लला इन
बोलन की
बाबा नागार्जुन ने सुधीश पचौरी के भविष्य को पालने में ही पढ़ लिया था . इस
उत्तरआधुनिकता के पुरोधा ,मीडिया विशेषज्ञ को विमर्श से मनमाने निष्कर्ष निकालने
में महारत हासिल है .दिल्ली विश्वविद्यालय के चार साला स्नातकीय कोर्स के
अंधसमर्थक इस अरुण जेटली ने भाजपा के सत्ता में आते ही केतली खौलती देखकर जो पलटी
मारी तो वह आज तक ठंडी नहीं हुई है .
उत्तर आधुनिकता की
गहरी जड़ें अवसरवाद में धंसी हुई हैं .कहीं भी पाठ,विश्लेषण और विमर्श के नाम पर
पलटी मारने की सुविधा –अनेकान्तवाद-स्यादवाद –बहुलता के नाम पर .
आज 13 नवम्बर के अमर
उजाला में सुधीश पचौरी की –मोदी की बदलती
छवि और पस्त होते आलोचक –टिप्पणी पढकर इस धारणा की पुष्टि हुई .अशोक चक्रधारी का
यह विलोम पूरी धज के साथ चक्रवर्ती मोदी के ध्वजारोहण का अग्रगामी अश्व बना दौड़ता
हुआ दिखाई दिया .अपने चौकों –छक्कों से इसने पूरा मैदान छेक दिया .भारतरत्न को भी
इस कला में इस महारथी ने पीछे छोड़ दिया .’मोदी के निंदकों को काठ –सा मार गया है
.उनकी बोलती मोदी ने बंद नहीं की ,जनता ने की है ‘-जय हो ब्रह्मर्षि की इस चरण वन्दना की . अब अश्वमेध का पौरोहित्य तो
पक्का समझो .तुम्हारा यह पतन होना ही था –धुरंधर .