आजकल महर्षि पतंजलि के योग के नाम पर
जिस गोरखनाथ मार्का हठयोग का प्रचार देश –विदेश में किया जा रहा है , उस ठगविद्या को प्रेमयोगी ब्रजवासियों ने
काफी पहले नकार दिया था –जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै लेकिन साब आखिर उस ठगौरी के दिन कलिकाल में ही फिरने
थे . सो फिर रहे हैं .योगा का मार्किट उफान पर है .विदेशी इस योगा पर मक्खियों की
तरह टूट पड़ रहे हैं .विदेशी मुद्रा के अम्बार लगे हैं .
भला हो स्वामी विवेकानंद का जो अमेरिका में वेदांत का झंडा काफी पहले गाड़ आये
थे .अब उसी झंडे की शान को हम भुनाने की जुगत भिड़ा रहे हैं .उनके बाद तो अनेक
अंग्रेजीदां महात्माओं ने इस व्यापार को बुलंदियों पर पंहुचा दिया है . भगवान
रजनीश और महेश योगी से लेकर श्री श्री तक का सफर इसे सिद्ध करने के लिए काफी है .
मुफ्तखोर ,फोकटिये भारतियों को किसी आदमी और चीज की कदर तभी पता चलती है जब वह
विदेशों में हिट हो जाते हैं .जो लोग चवन्नी रिक्शे पर खर्च नहीं कर सकते उन्हें
हवाई जहाज का किराया देते जान निकलती है .सब्सिडी में उनकी जान बसती है .उनके जीवन
का एकमात्र लक्ष्य है –सरकार तेल दे तो पल्ले में ले –भले निकल जाए .
बचपन में अंग्रेजों की पी टी और लेझिम के अनुभवी विद्यार्थियों को आज के जिम
में सिक्स और एट पैक के मुकाबले का पता नहीं .पी टी से पुलिस और फ़ौज की ट्रेनिंग
में मदद मिलती थी जबकि सिक्स पैक से फिल्में आसानी से मिल जाती हैं .अब जवानों को
बाबा रामदेव के नुस्खे से फूं फाँ मार्का धौकनी
चलाने और पेट में आंतें घुमाने की प्रेक्टिस करनी होगी भले इसमें दस बीस हलाक हो जाएँ , वरना उनको देश की
नागरिकता से वंचित किया जा सकता है .अब बिना पढ़े लिखे इस नट करतब से ही रोजी रोटी
का जुगाड़ हो सकता है तो कौन पढ़ाई की कढाई में सिर खपायेगा .पाणिनि का ब्राण्ड
पतंजलि के आगे फेल है.