Sunday, December 19, 2021

अगर सरकार बनी तो

 अगर  सरकार बनी तो .....


# मूलचन्द्र गौतम

चुनाव का मौसम आते ही बरसाती मेढकों की टर्र टर्र और झींगुरों की झंकार के साथ तलवारों की टंकार सुनाई देने लगती है।टुकड़ा टुकड़ा गैंग टुकड़ों में सरकार पर टूट पड़ता है ।इसलिये उसका कोई असर नहीं पड़ता ।लोकल ग्लोबल पर हावी होना चाहते हुए भी हो नहीं पाता क्योंकि सरकार के पास असीम भौतिक और दैवी शक्तियाँ हैं।युद्ध और हिंसा के शौकीन वैश्विक फिल्मकारों की निगाह आज तक राम रावण और महाभारत के युद्ध पर नहीं गयी है।रामानंद सागर और बी आर चोपड़ा उसका एक अंश मात्र दिखा पाये हैं।आधुनिक फिल्मी तकनीक उस जादुई यथार्थ को दिखाने में सक्षम ही नहीं।व्यास और तुलसीदास की कल्पनाशीलता को पकड़ना इनके बस का नहीं।आप कहेंगे कि मैंने वाल्मीकि की जगह तुलसीदास का नाम लेकर जातिवादी राजनीति की है तो कृपया दोनों के युद्ध वर्णन की तार्किक व्याख्या और समीक्षा के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के निर्देशन में  एक न्यायिक आयोग का गठन  करवा लीजिये।पता चल जायेगा कि दोनों में से युद्ध कौशल की किसे ज्यादा जानकारी है।तभी पता चल जायेगा कि बुद्ध से बड़ा प्रबुद्ध क्यों है?और हर पार्टी प्रबुद्धों के बहुमत और समर्थन का दावा क्यों ठोंक रही है?कि आजकल आक्रामक चुनाव प्रचार किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं है।इसके दाँव पेंच अब लोकल नहीं ग्लोबल हैं।

अब हर पार्टी की  चुनावी घोषणा और घोषणा पत्रों का तुलनात्मक विश्लेषण करके देख लीजिए कि जमीनी हकीकत किसके साथ ज्यादा है।धरतीपुत्र और धरती पकड़ का फर्क तभी स्पष्ट होगा ।मंडल और कमण्डल के बीच धोबी पछाड़ कुश्ती अब पिछड़ गयी है।अखाड़ों और ताजा जुते हुए खेतों के दंगलों का जमाना खत्म हो चुका है।ओलम्पिक की मायावी दुनिया में मरियल सा पहलवान अंकों के आधार पर विजेता घोषित कर दिया जाता है।भले ही बाद में डोप टेस्ट के आधार पर उसका पदक छीन लिया जाय ।ओलंपिक पदक और पद्म सम्मान की लाज रखना हर एक के बस की बात नहीं।अब तो नोबेल तक गंदी और छिछली राजनीति के दलदल से बच नहीं पा रहे ।दावा भले ही कितना ही अराजनैतिक होने का करते रहें।
 इसी राजनीति के चलते इतिहास और इतिहास पुरुष क्या लौह पुरुष और स्टील पुरुष तक संकट में हैं।देरिदा के पाठ कुपाठ ,व्याख्या और दुर्व्याख्या का फर्क अब समझ में आ पा रहा है।दरअसल एक पिछड़ा और पीछे देखू समाज अग्रगामी और अवांगार्द हो ही नहीं सकता।उत्तर आधुनिकता और उत्तर सत्य का रहस्य उत्तरांचल की राजनीति से समझ नहीं आ सकता।यह सिद्धू जैसे सिद्ध से भी नहीं सध पा रहा तो सामान्य आदमी की बात ही क्या है?

इसलिये अब आधुनिक जनता एक जुमले को  छोड़कर दूसरे में फंसने वाली नहीं।अगर सरकार बनी तो  के तहत होने वाली घोषणाएं उसके लिये बेमानी हैं।यह शुद्ध और निरापद वर्तमान में जीने वाली जनता है जो भविष्य को लेकर कतई चिंतित नहीं है।इसलिए सरकार भी निश्चिंत है।उसने दीपावली और देव दीपावली पर दीयों का रिकार्ड तोड़ एवरेस्ट खड़ा कर दिया है जिसके आगे टुकड़ा टुकड़ा विपक्ष का अंधेरा टिक नहीं सकता ।



# शक्ति नगर, चंदौसी, सम्भल 244412
मोबाइल 9412322067

यंत्र मन्त्र तंत्र

 यंत्र मंत्र तंत्र 


# मूलचंद्र गौतम 

पहले अखबार में एक कालम नियमित छपता था यत्र-तत्र सर्वत्र।उसे पढे लिखे लोग बडे गौर से पढते थे क्योंकि उसमें सार्वजनिक और सर्वकालिक मुद्दों की बात होती थी।अब उसका नाम बदलने का समय आ गया है क्योंकि तमाम लोगों और जगहों के नाम बदलने का फैशन आ चुका है।पुराने सडे हुए ब्रांडों ने भी नये नये नामों से मार्केट को लूट लिया है।बाटा अब आउट ऑफ़ डेट बुड्ढों को त्याग कर हश पपीज बनकर युवाओं को लुभा रहा है।मक्खीचूस बुड्ढों को एक एक पैसा दाँत से पकड़कर चूसने की आदत थी इसीलिए उन्हें बाटा की निन्यानबे पैसे वाली कीमतें बडी पसंद थीं।बुड्ढा एक रुपये का नोट तुड़वाने से बचाने के चक्कर में तीन दिन भूखा रहना पसंद करता था ।अब काफी बर्गर में हजारों लुट जाते हैं।चमचमाते हुए युवा भिखारियों तक को पाँच पाँच सौ के नोट खेल खेल में ही लुटा देते हैं।यह नये दौर का सॉफ़्टवेयर है जो पुराने दौर के हार्डवेयर पर भारी है।अब जमाना ताकत का नहीं तकनीक का है।इसीलिए अब हर पुरानी चीज पर बुलडोजर चल रहा है।मॉल कल्चर में पुरानी खोकाछाप किराने और परचून की दुकान कैसे टिक पायेगी भला?
यही ट्रेंड अब व्यापार और राजनीति में चल रहा है।देसी पउए पर झूमने वाले माहौल में पीके ने धूम मचा दी है।अब झूम बराबर झूम को धूम मचाले धूम ने पीट दिया है।वैदिक ऋषि-मुनियों की जगह नेताओं और इवेंट मैनेजरों  ने ले ली है।चुनाव में नयी से नयी शब्दावली सामने आ रही है।मंथन महामंथन , विजय रथयात्रा, संकल्प से सिद्धि ,प्रतिज्ञा ,महामंत्र इत्यादि।अब वे अपने समर्थकों,कार्यकर्ताओं और वोटरों को ताबीजों की तरह जीत के मंत्र बांटते फिर रहे हैं यत्र योगेश्वर कृष्ण यत्र पार्थ धनुर्धर .....।हर बूथ पर यूथ की भर्ती जारी है जो जान लड़ाकर और देकर पार्टी को जितायेंगे। हिंसा की टीआरपी सबसे ऊपर है उसके बाद धर्म ,नशे और जाति का जुनून है।अब  जिस पार्टी और कम्पनी का यंत्र,मंत्र,तंत्र मजबूत होगा वही बहुराष्ट्रीय मैदान में टिक पायेगी,अन्यथा बडी मछली छोटियों को निगल जायेगी।
इस प्रोफेशनलिज्म की प्रतिस्पर्धा में घुटे और मंजे हुए खिलाड़ियों की जरूरत है।पुराने चाणक्य का नया अवतार हर तरह की जीत के मंत्रों से लैस है।अब मंत्र सिद्ध मामूली सी फुलझड़ी भी विपक्षियों के एटम बम पर भारी है।अब पप्पू की साइकिल की जगह रॉयल एन फील्ड ने ले ली है।बडे बडे फील्ड मार्शल जिसके आगे फेल हैं।न्यायमूर्ति तक विदेशी मोटरसाइकिलों के दीवाने हैं। अब रजाई गद्दे ,सिलेंडर,मोबाइल और लैपटॉप मात्र खिलौने हैं जिन्हें लेकर बच्चे भी नहीं बहलते ,फिर वोटर की क्या बात है ?

# शक्ति नगर,चंदौसी,सम्भल 244412
मोबाइल 9412322067