Monday, October 23, 2023

गंगू तेली का दुखड़ा

गंगू तेली का दुखड़ा

# मूलचन्द्र गौतम 

राजा भोज के जमाने से गंगू तेली मशहूर है ।राजा भोज ने एक एक मामूली से श्लोक पर सोने की लाखों मुहरें और जमींदारियां लुटा दी थीं लेकिन गंगू को कभी अधेला भी नहीं बख्शा था ।गंगू की  शारीरिक मेहनत का उस समय  कोई मोल नहीं था आज भी नहीं है ।गंगू का मरियल बैल आंखों पर अंधौटे बाँधकर कोल्हू के चारों ओर हजारों मील की यात्रा करता था और सरसों और दुआं का स्वास्थवर्धक तेल और खल के सुंदर घेरे बनाकर जनता को  देता था ।भैंस और वोटरों को हाँकने वाली बाहुबलियों की जिस मजबूत लाठी को उसका तेल पिलाया जाता था वह भी अब केवल किस्से कहानियों तक सीमित रह गयी है ।गन कल्चर ने उसे बहुत पीछे छोड़ दिया है ।मशीनीकरण ने गंगू का  रोजीरोटी का हर सहारा  छीन लिया है तो अब वह पूरी तरह नंगू हो चुका है ।गांधी बाबा का यह आखिरी आदमी आज भी आखिरी सीढ़ी पर ही ठिठका हुआ खड़ा है कि कभी तो उस पर किसी की निगाह पड़ेगी और उसके दिन भी बहुरेंगे लेकिन जो नहीं हुआ उसका गम क्या?

धंधा चौपट होने से पहले गंगू ने लाख कोशिश की कि उसके बड़ी मेहनत से पेड़ की जड़ के ऊपरी हिस्से से बनाये गये कोल्हू को लुप्त होने से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय न सही राष्ट्रीय धरोहर में ही शामिल करके उसे मुआवजे की मोटी रकम सरकार से मिल जायेगी लेकिन ऐसा कुछ न हो सका ।स्टार्टअप के रूप में वह बहुरूपिया भी बना लेकिन पुलिस ने उसका यह धंधा भी न चलने दिया । आखिर झख मारकर वह कनमैलिया बना तो लोगों ने ईयरबड्स खरीदकर उसे फिर से बेरोजगार बना दिया ।जैसे पुराने दलाल लोग इज्जत से कमीशन एजेंट बनकर सम्मान से रोजी कमा रहे हैं वैसा कोई नाम उसे आजतक उपलब्ध नहीं हो पाया है । हेयर कटिंग और मालिश कराने का काम भी मसाज पार्लरों में बदल चुका है और उसकी आड़ में करोड़ों के बारे न्यारे हो रहे हैं । इस धंधे में आदमी स्त्रियों से काफी पीछे छूट गये हैं ।क्लब कसीनो में बदल रहे हैं ।धर्मशालाओं ने होटल का रूप ले लिया है लेकिन दुर्भाग्यशाली तेली और तमोली का कोई विकास और पुनर्वास नहीं हुआ है।कच्ची घानी के तेल के विज्ञापन पर भी गंगू नहीं फिल्मी हीरो कब्जा जमाये हुए हैं।

गंगू बेहद बारीकी से दुनिया को बदलते हुए देख रहा है।उसे आत्मानुभव से मालूम है कि तेजी से बहती इस बदलाव की धारा में पैर टिकाये रखना बड़ा मुश्किल काम है ।देहात की परस्पर निर्भर दुनिया में फायदे के सब धंधों पर पैसे वालों का कब्जा है ।उन्हें अब जूतों के चमचमाते शोरूमों पर शान से बैठने में कोई शर्म नहीं आती ।अब ग्राहक चमक दमक पर मरता है और दो पैसे की चीज पर दो हजार लुटाने को तैयार है ।पहले वह सस्ती से सस्ती चीजें देखता था अब महंगी से महंगी चीजें खरीदता है ।पहले शादी में दहेज के तौर पर घड़ी ,साइकिल ,रेडियो की बड़ी इज्जत थी लेकिन अब दूल्हेराजा को  फोर व्हीलर भी मारुति आठ सौ नहीं एसयूवी चाहिए,भले बाद में पेट्रोल भरवाने के भी लाले पड़ जाएं ।पार्टी मोटी हो तो   हाई फाई सोसाइटी में फ्लैट अलग से ।ये सब नहीं तो शादी केंसिल और हो भी जाय तो तत्काल तलाक या दुल्हन दहन ।

इस माहौल में नंगू तय नहीं कर पा रहा कि किससे नहाये और क्या निचोड़े ?अब उसकी आखिरी उम्मीद राजनीति ही बची है ।
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