राजनीति की तरह भाषा
भी बेहद कुत्ती चीज है .कमान से निकला तीर और जुबान से निकला बयान लौट कर नहीं आता
फिर आप लाख सफाई देते फिरें कि मेरा यह मतलब नहीं था या मीडिया अर्थ का अनर्थ कर
रहा है .मुहावरे और लोकोक्तियों की भी दुर्गति हो रही है .अचूक अवसरवादियों ने हर
अवसर को भुनाने की कला में महारत हासिल कर ली है लेकिन फिर भी कुछ चौहान अब की बार
चूक गये हैं जिसका उन्हें बेहद पछतावा है .पता नहीं कैसे वे अब की बार हवा का रुख
पहचान नहीं पाए ?
ऐसे ही कई चौहान इस
बार चुनाव के धंधे में दिवालिया हो गये हैं .उनका घर बार सब कुछ लुट चुका है .यहाँ
तक कि कोई नामलेवा भी नहीं बचा है .बुरा हो मोदी का कि उनकी आखिरी हसरतें चौराहे
पर दम तोड़ चुकी हैं और कफन -काँटी तक का इंतजाम चंदे से कराने की नौबत आ चुकी है
.देश की नामुराद –नमकहराम जनता को इत्मीनान से कोसने के लिए वे स्विट्जरलैंड की
ठंडी वादियों में चले गये हैं ताकि दिमागी दिवालिया होने से बचे रहें और उनकी काली
कमाई बची रहे .
दरअसल उन्हें इस देश
के भावुक मूर्खों से पहले से ही नफरत रही है ,इसीलिए उन्हें देश में धुले हुए कपड़े
तक पसंद नहीं आते थे . उनके फोड़े –फुंसी तक का इलाज अमरीका में होता है .इन्हीं
जाहिल –गंवारों ने उनका भट्टा बैठा दिया है .यहाँ तक कि उनके देवता श्मशानवासी शिव तक उनके खिलाफ हो
गये .ये जटाजूटधारी बदबूदार गंजेड़ी –भंगेड़ी उन्हें पहले ही पसंद नहीं था और अब तो
वह खुलकर नंगे भूत -प्रेतों के साथ है .क्षीरसागर में लेटे कमलनाथ तक को पसंद नहीं
आई है उनकी यह फूहड़ पसंद .लक्ष्मी जी के ड्राइवर उल्लूनाथ को तो यह परिणाम पहले से पता था .शेषनाग ने भी अबकी बार
सर हिलाकर मना कर दिया था कि चुप रहो –जमानत बचाने तक के लाले पड़ जायेंगे .कृष्ण
के वंशज तक बचाने नहीं आयेंगे .अब वे उतने अंधक –बंधक नहीं रहे कि कोई अललटप्पू
उन्हें हांक ले जाये.
मैंने पहले ही
उन्हें समझाया कि काठ की हांड़ी एक बार भी बहुत मुश्किल से काम कर पाती है और आप
हैं कि इसे बार –बार आजमाने पर आमादा हैं .चूहे तक डूबते जहाज से
सबसे पहले भागते हैं .लेकिन आप अपनी अकड
में डूबते जहाज में ही बैठे रहे ताकि आपको कोई चूहान न कहे.मैंने कहा कि इस
बार हांड़ी बदल लो लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी
.चमचों की भी कोई इज्जत –औकात होती है .दुनिया उन्हें यों ही मोटी –मोटी पगार देकर
सलाहकार नहीं बनाती अब झेलो .नूरे चश्म और चश्मे चिरागों तक ने समझाया कि बुढौती
की शादी जगहंसाई के अलावा कुछ नहीं होती लेकिन इश्क के डेंगू का डंक जिसे लग जाये
वह एनडी हो जाता है .तो अब हो जाओ एनडी-फेंडी ...या जो चाहो हमारी बला स