Wednesday, September 18, 2013

लल्लनटॉप


लल्लनटॉप
# मूलचन्द्र गौतम
जब से टीपू भैया ने अपने छोटे बहिन-भाइयों को पास होने की ख़ुशी में लेपटॉप बांटे हैं ,तब से  सारे देश के बच्चों ने बस एक ही रट लगा रखी है –भैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों .अब हर भइये की औकात नहीं है ऐसा खिलौना देने की सो झूठे ही बहाना देकर बहला देने की ठानी है .चुनाव जीतने के बाद कौन गरदन पकड़ने आएगा ?एक पौवे में खुश हो जाने वाले लफंगों ने भी अब बोतल के साथ अललटप्पू की रट लगा दी है .बुड्ढे-बुड्ढी भी साड़ी-कम्बल के बिना मानने नहीं .हरेक को कुछ न कुछ चाहिए वोट के
बदले में .पिछली बार नकली नोट पकड़ा दिए थे किसी ने तो अबकी बार रेजगारी की डिमांड है .
कई घरों में  पांच-पांच लेपटॉप इकट्ठे हो गये हैं सो उन्हें राशन की चीनी की तरह बेचा जा रहा है .चीनी मंहगी बिकती थी और ये लल्लनटॉप सस्ते में .चाचा रोज ग्राहक ढूंढकर लाते हैं .उन्होंने ही तय किया है कि दो लल्लनटॉप बेचकर एक गाय खरीद लेंगे .परेशान हैं वे चुन्नू से कि हर समय लल्लनटॉप को गोद में लिए क्यों बैठा रहता है ?इंटरनेट पर जाने क्या ऊलजलूल –फिजूल देखता रहता है .मोबाइल ही क्या कम था हरामखोरी के लिए .जब देखो गाने ..इतना संगीतप्रेमी देश शायद ही कोई होगा ?पागल कर दिया है .क्या बस,क्या ट्रेन सब जगह गाने ही गाने .जैसे कोई दूसरा काम ही नहीं .उनके जमाने में गाना चलता था –तन डोले मेरा मन डोले ,मेरे दिल का गया करार रे ..अब कौन बजाये बांसुरिया.अब वे देखते हैं कि घंटी बजते ही कान पकड़े खड़े हैं घंटों .अगर यही सूचना क्रांति है तो भगवान बचाए इस क्रांति से जिसने शांति ही भंग कर दी है .मोबाइल ने तो अपराधों में क्रांति ला दी है .मिस्ड कालों ने जीना हराम कर दिया है .आनर किलिंग में मोबाइल की भूमिका कोई नहीं देख रहा .अब तो मोबाइल दंगों और चुनावों में भी अहम भूमिका निभाएंगे .नेट से सब कुछ हाईटेक हो जायेगा .रावण की तरह चुनावी युद्ध मायावी होगा . भ्रष्टाचार का रक्तबीज मारे नहीं मरेगा .नाभि के अमृत का पता बताने वाला विभीषण भी दलाली मांगेगा .देवी का अवतार भी बिकाऊ होगा .
भूमंडल में कोहराम मचा है .देवभूमि में सुर –असुर की पहचान मुश्किल हो रही है .दोस्त –दुश्मन सब गड्डमड्ड हैं .भेड़ को हर घाट पर मुंडना है .इसलिए जनता का नारा है –सरकार तेल दे तो पल्ले में ले –भले ही नीचे से निकल जाये .लल्लनटॉप के लिए बिजली की मांग करनेवाले भिखमंगों को कोई संतुष्ट नहीं कर सकता .हिटलर ही इन्हें ठीक करेगा .
अब किस –किस को साधें ?विपक्ष अलग हल्ला मचाये है .केंद्र की चिल्लपों और कोर्ट की मारामारी अलग .कुल मिलाकर अगला चुनाव बेहद खर्चीला होगा .अधिसूचना से पहले ही सरकारी खजाने को भरपूर लुटाने की तैयारी है तो भी जेब से जायेगा सो अलग .विदेशी प्रचार कम्पनियों ने भी अबकी टेंडर का रेट बढ़ा दिया है .सब कुछ हाईटेक जो हो गया है .सोशल मिडिया वाले अलग खून पियेंगे .दंगा ,सिक्योरिटी ,आतंकवाद से लेकर हर तरह का आइटम .फिर भी वीजा मिलने की गारंटी नहीं .
सो अपुन ने तो चुनाव लड़ना मुल्तवी कर दिया है .समर्थकों में मायूसी छा गयी है .रोज नये –नये हथकंडे निकाल कर ला रहे हैं उत्तेजित करने के .उन्हें क्या पता कि मंहगाई सुपारी तक पर बढ़ गयी है .पहले रेट अठन्नी बन्दा था जो अब चार –छः से कम पर नहीं निबट रहा .पेड न्यूज़ वाले चवन्नी मार्का पत्रकारों से अब काम नहीं चलेगा .वोटर अब अख़बार पढ़ता ही नहीं .उसे चेनलों का सर्वे चाहिए .बुरा हो इस हार्वर्ड मेनेजमेंट का .देसी मामले –मसाले फेल कर दिए .सब कुछ मल्टीनेशनल चाहिए .किसी की समझ में नहीं आ रहा यह अंडे का फंडा .
फिर भी मुफ्तखोर अपने लेबल से एक पार्टी को पटा लाये हैं जो बिना कुछ लिए दिए घर बैठे टिकट देने को राजी है .खर्चा खुद करेगी जमानत जब्त कराने का .माल किसी का वोट किसी को .यानी सारी खरीद –फरोख्त फेल .अजीब जमाना आ गया .वकील किसी का दलील किसी की .एक पुराने वकील थे आजादी के दौर के और एक आज हैं .पता नहीं किसके साथ हैं ? नाम में क्या रक्खा है ?
*शक्तिनगर ,चंदौसी ,संभल उ.प्र.244412मोबाइल-8218636741


Monday, September 9, 2013

डबल इंग्लिश

डबल इंग्लिश
मूलचन्द्र गौतम 
एक जमाना था जब बीए पार्ट वन में जनरल इंग्लिश में सत्तर प्रतिशत विद्यार्थी फेल होकर पढाई छोड़ बैठते थे .कम्पार्टमेंट या सप्लीमेंटरी का लाभ भी बहुत कम को मिलता था .भला हो उत्तर प्रदेश सरकार का कि देश के विशालकाय आगरा विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में बालकृष्ण राव की नियुक्ति की .उन्होंने जनरल इंग्लिश के स्थान पर हिंदी भाषा का विकल्प देकर बहुत से गरीब ग्रामीण छात्रों को अंग्रेजी में फेल होने के आतंक से मुक्त कर दिया .इससे हिंदी के अध्यापकों की संख्या में भी वृद्धि हुई .
अब उत्तर प्रदेश की गरीब जनता का स्तर उठ गया है .हाल के दस वर्षों में हालात उलट गये हैं . बीए प्रथम वर्ष की प्रवेश समिति के संयोजक के नाते हिंदी के प्रोफेसर  मुरारीलाल का मुंह लटक गया है क्योंकि उनकी रोजी –रोटी खतरे में पड़ गई है .ज्यादातर छात्र –छात्राओं ने आवेदन पत्र में डबल इंग्लिश ली है .नकल से पास हुए इन छात्रों के चेहरे मोहरे से इंग्लिश की बू –बास तक नहीं आती .लिटरेचर को लिटलेचर कहने वाले ये भावी कलक्टर हिंदी सहपाठियो और अध्यापकों को जिस हिकारत से देखते हैं ,वह नाकाबिले बर्दाश्त है .हिंदी की क्लासों में मुर्दनी छाई रहती है .शर्म के मारे कोई भी किताब तक नहीं लाना चाहता कि कोई पूछ न बैठे कि ये घर की मुर्गी –हिंदी भी कोई पढने की चीज है .हिंदी का अख़बार पढना भी अब बेइज्जती है .मुरारीलाल के लडकों के खुद घर में अंग्रेजी का अख़बार लगा लिया है .हिंदी के अख़बारों में वैवाहिक विज्ञापन तक गरीब - स्तरहीन और घटिया लोगों के छपते हैं ,जिनके पास दहेज में कार तक देने की औकात नहीं है .और तो और एमए हिंदी लडकी को कोई शादी लायक तक नहीं मानता क्योंकि उसकी काबिलियत मात्र इतनी है जितनी पहले चिट्ठी या रामायण पढकर सुना देने वाली लडकी की हुआ करती थी .अलबत्ता प्राइमरी स्कूल में मास्टरनी हो तो उसके बारे में सोचा जा सकता है .
डबल इंग्लिश न हुई दवा की डबल डोज हो गई .डबल नाल की दोनाली हो गई .अब बच्चों के नाम तक डब्बल रखे जा रहे हैं हो भले ही सिंगल .इसी चक्कर में बसें तक डबल डेकर हो गयी हैं .कान्वेंटों में हिंदी बोलना तक निषिद्ध है –जुर्माना तक देना पड़ेगा .इसीलिए बिना टाई के पढने वाले बच्चे जाहिलों में गिने जाने लगे हैं .टाट-पट्टी वाले स्कूल उन्हीं के लिए हैं जो फीस नहीं भर सकते और मिड डे मील खाकर मरने को मजबूर हैं .निज भाषा जब उन्नति के बजाय अवनति का कारण बन जाये तो कौन पढ़ेगा उसे .क्या इसीलिए मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी हो गया है .

# मूलचंद गौतम ,शक्तिनगर ,चंदौसी ,संभल  उ.प्र.244412मोबाइल-9412322067