Tuesday, June 14, 2016

क्रास वोटिंग का है जमाना


मेंढकों को तराजू में तौलने की कोशिश में प्यारेलाल कई बार औंधे मुंह गिर चुके हैं ,लेकिन फिर भी बाज नहीं आते . आयाराम गयाराम के खेल में अनाड़ी की तरह व्यवहार करते हैं .उनकी मन्दमति में कलिकाल की माया घुसती ही नहीं .पंडित सोई जो गाल बजावा और प्यारेलाल हैं कि गाल बजाने की कहो तो बगलें बजाने लगते हैं . कितना भी समझाओ हर समय खुद को सत्य हरिश्चंद्र की जायज औलाद समझते हैं .
अरे भैया जब झूठइ लेना झूठइ देना ,झूठइ भोजन झूठ चबेना हो तो आपको कौन तौलेगा ?घर बैठे मारते रहिये मक्खियाँ या मक्खीनुमा हिटलरी मूंछों को नोंचते रहिये कि जैसे उन्हीं में से विश्वशांति का हल निकलेगा .महाभारत भी वर्णसंकरता के कारण ही हुआ था जिसे आजकल क्रास ब्रीड कहते हैं .जहाँ गधे ,घोड़े फेल हो जाते हैं वहां खच्चर बाजी मार ले जाते हैं .अब ई ससुरी देश की राजनीतिक पार्टियों को वर्ण शुद्धता का रोग लगा है कि खच्चरों को लतियाकर बाहर निकाले दे रही हैं .जबकि सबका हिनहिनाना एक सा है .एफिडेविट देकर कोई सगा हुआ है आज तक .हरी हरी घास जहाँ दिखेगी वहाँ दीन ईमान कौन देखेगा ?फिर डूबती नैया में कौन बुडबक सवारी करेगा ?अक्लमंद कहेंगे कि चूहों को ही सबसे पहले जहाज के डूबने की खबर  क्यों मिलती है ?
इन अक्लमन्दों ने आज तक न कोई चुनाव लड़ा और न जीता .इसलिए हर पार्टी ने उन्हें पार्टी प्रवक्ता बनाकर हर चैनल पर बैठा दिया है .लड़ाते रहें चोंचें .समझते रहें खुद को थिंक टैंक .युद्ध के मैदान में इनमें से एक नहीं चलेगा .वहां देसी कट्टा ही काम आएगा .इसलिए पूरा देश वोटिंग के बजाय क्रास वोटिंग करने वाले रणबांकुरों को ही टकटकी लगाये देख रही है क्योंकि यही दिशाकाक हैं .इन्हीं से हवा का पता चलता है .घोडा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या और ह्गेगा क्या ?इन्हीं की लीद लीड़ बनेगी जिसे हर चैनल सिर पर ससम्मान उठाकर घूमेगा .अब हाईकमान सिर धुनता है तो धुने इनकी बला से .इनकी तकदीर में हाईकमान के धक्के नहीं लिखे हैं ,इसीलिए चतुर सुजान हक्के बक्के हैं .उन्हें न खुदा ही मिला न बिसाले सनम 

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