Friday, October 30, 2015

नंगों का नहान


# मूलचन्द्र गौतम
 विकास के तमाम दावों और वादों के बीच हिंदुस्तान में आज भी भूखे नंगों का बहुमत है , अल्पसंख्यक सिर्फ अमीर हैं जिनका जमीर बेहद गडबड है .फिल्मों में भी इन्हीं अमीरों की चमाचम दुनिया है जो इन भूखे नंगों को लुभाती है और वे इसके हीरो –हीरोइनों के सपनों में खोये रहते हैं .चतुर सौदागर हर पांच साल बाद पुराने सपनों को नई पालिश से चमकाकर उन्हें बार –बार चपेक देते हैं .चौकीदार रात दिन सिर्फ चिल्लाते रहते हैं –तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा .कथावाचक इस धोखे  की इस कडवी गोली को माया महाठगिनी के विराट रूपक की चाशनी में लपेटकर धर्मभीरु जनता के गले उतारते रहते हैं .
लेकिन नंगा क्या तो नहायेगा और क्या निचोडेगा ?उसके पास है क्या एक चोटी और लंगोटी के सिवा ?गांधीजी नंगों की ऐसी हालत देखकर खुद लंगोटी में आ गये थे और उसी को पहनकर लन्दन तक जाते थे .यही लंगोटी वाला उनका आखिरी आदमी था जो आज तक उसी पोज में खड़ा है फोटो खिंचवाने के लिए .चोटी उनके पास नहीं थी क्योंकि उसके होने से बाकी चोगे ,पगड़ी ,दाढ़ी वालों के भडकने का अंदेशा था .चाणक्य की तरह चोटी खोलकर उन्होंने अंग्रेजों को बर्बाद करने की कसम भी नहीं खाई थी .दरअसल यह उनकी व्यक्तिगत मूंछ और पूंछ की इज्जत की लड़ाई थी भी नहीं .वर्ना तो आजादी के तुरंत बाद उन्हें देश का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री बनने से कौन रोक सकता था ?
 देश में आजकल पुरस्कारों के लौटाने की झड़ी लगी है ,जैसे ये  अनार ,पटाखे और फुलझड़ी हों . सुप्रीमकोर्ट भी इसमें दखल देने को तैयार नहीं .सरकार परेशान है इस खुजली की बीमारी से जो दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है .जैसे भारी बहुमत और जनादेश पर खुजली भारी हो ?आपातकाल में भी यही खुजली इन तथाकथित बौद्धिकों के दिमाग में घुस गयी थी जिसका इलाज बड़ी मुश्किल से हो पाया था .इस बीमारी को जल्दी जड़ से खत्म नहीं किया गया तो अंदेशा है कि यह महामारी बनकर आम जनता के तन –मन को ग्रसित कर देगी और फिर लाइलाज हो जायेगी . इसलिए इन्हें सायबेरिया जैसी जगह ले जाकर बौद्धिक डोज दी जाएगी ताकि इनका दिवालियापन दूर हो  . देश का आलाकमान परेशान है कि भूखी नंगी जनता के पास लौटाने  को भले भारी तमगे न हों लेकिन उसने देश की नागरिकता लौटना या उतारकर फेंकना शुरू कर दिया तो क्या होगा ?भूखे नंगों के पास लौटाने को कुछ न हो लेकिन उनकी हाय और बददुआओं से तो बड़ी –बड़ी सल्तनतें हिल जाती हैं .फ़िलहाल तो सत्ता ने फौरी कार्यवाही के तौर पर  भेड़ों को बाड़ों में बाँट दिया है .
#
शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741


-----

No comments:

Post a Comment