Tuesday, March 24, 2015

नयी शिक्षा नीति में सामूहिक नकल या सपुस्तकीय परीक्षा

 # मूलचन्द्र गौतम


जब से मीडिया और सोशल मीडिया में बिहार की परीक्षाओं में नकल करने –कराने की तस्वीरें सामने आई हैं ,तबसे योग्यता के परीक्षणों के पारम्परिक तरीकों पर पुनर्विचार की जरूरत महसूस होने लगी है . पचास किताबों को पढ़कर कट-पेस्ट तकनीक से तैयार  एक नई किताब से पीएचडी हासिल करने वाली व्यवस्था में  निचले स्तर की परीक्षाओं में नकल क्या अपराध है ?
आजकल विश्व भर के २०० विश्वविद्यालयों में कोई स्थान न पाने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को जिस हिकारत और हीनता से देखा जा रहा है उससे देश के प्रथम नागरिक से लेकर अंतिम नागरिक तक चिंताग्रस्त हैं .इसके सामने नकल की यह समस्या कुछ भी नहीं है .प्रश्न है की शिक्षा की इस विश्वस्तरीय गुणवत्ता की शुरुआत कहाँ से होनी चाहिए ...नीचे से या ऊपर से ?यही मसला भ्रष्टाचार का है . सफाई कहाँ से शुरू हो ..नीचे से या ऊपर से ?यथा राजा तथा प्रजा के नियम से चलें तो ऊपर से ...लेकिन यह अक्सर शुरू की जाती है नीचे से .यही विडम्बना पीछा नहीं छोडती  ऐसे माहौल में .क्या कोई सम्पूर्ण क्रांति सम्भव है ?खिचड़ी विप्लव फिर उसी गड्ढे में आ गिरता है .
तोतारटन्त की विद्या में बड़े –बड़े काबिल वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं तो यूपी और बिहार में तो नकल गरीबी रेखा से नीचे के वोटरों के लिए एक अदद मास्टरी ,होमगारदी ,किरानी हासिल करने भर को है .वहां आनंद कुमार के थर्टी प्लस का विलोम किसी को क्यों नहीं दीखता ?बिहार के तमाम धनी मानी परिवारों का कोई बच्चा इस नकल के खेल में शामिल नहीं .वे सब दिल्ली के श्रेष्ठ संस्थानों की शोभा हैं .ऐसे में लालू और नीतीश नकल रोकने से अपना राजनीतिक नुकसान क्यों करें ?वे तो कहेंगे लगे रहो मुन्नाभाई एमबीबीएस ....
उत्तम प्रदेश में एक बार कल्यानसिंह ने नकल को संज्ञेय अपराध बनाया था .हाल यह हुआ कि पुलिस –कचहरियों का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया .ऐसे ही एक बार गाइड –गैस पेपरों पर प्रतिबन्ध लगा था .मामला टांय-टांय फिस्स हो गया .अब ठेके पर सामूहिक नकल चालू है .तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय .किसी का बालक पुलिस का सिपाही या स्कूल मास्टर बन जाये तो तुम्हारा क्या जाता है ?अपना हिस्सा –चढावा-पुजापा तुम भी ले लो .जनसंख्या के भारी दबाव से बचने का यह भी कारगर उपाय है कि पूरी आबादी को किसी न किसी कम में लाइन में लगाये रहो .चाहे राशन की ,जन धन योजना की ,पेंशन की ,टिकट की या और किसी की .

नयी शिक्षा नीति में शिक्षा और समाज की गुणवत्ता पर गम्भीरता से सोचने वालों को चाहिए के वे पहले सिर में कूल कूल नवरत्न तेल लगायें फिर सोचें ताकि किसी सही नतीजे पर पंहुच सकें .इस काम में पहले तो 1950 के चीन की तरह देश के तमाम बोर्डों ,विश्वविद्यालयों को भंग कर देना चाहिए फिर एक आयोग बनाया जाना चाहिए जो हजार साल में रिपोर्ट दे कि क्या किया जाना चाहिए ?तब तक देश में  सपुस्तकीय परीक्षा जारी रहनी चाहिए .इससे शिक्षा एक स्तरीय उत्पाद हो जाएगी .तमाम गरीब गुरबे किरानी हो जायेंगे और पैसे वालों के बच्चे विश्व के 200 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से शिक्षा हासिल करके देश के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर हो जायेंगे .
# शक्तिनगर ,चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल8218636741

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