Tuesday, June 23, 2015

आये जोग सिखावन पांडे


# मूलचन्द्र गौतम

 महर्षि पतंजलि और सूरदास देश –विदेश में योग के होहल्ले से सबसे ज्यादा परेशान हैं .एक तो योग के धंधे में पतंजलि जी के नाम का दुरूपयोग हो रहा है ,दूसरे कल को सीबीआई की जांच बैठ गयी तो फंसेगे वे ही .धंधेबाज तो साफ़ मुकर जायेंगे और कानूनी दांवपेंच से बच निकलेंगे .फंस जायेगा बेचारा बुड्ढा जिसे माननीय बापू आसाराम की तरह कोर्ट से जमानत भी नहीं मिलेगी .सुब्रत राय के हाल वे देख ही रहे हैं .
पतंजलि जी का सबसे बड़ा दुःख यह भी है कि उन्होंने अपने अष्टांग योग में आसन को  पहले पर नहीं तीसरे नम्बर पर रखा था ,जबकि फरेबी भाई लोगों ने उसे पहले नम्बर पर रख दिया .यम और नियम गये भाड और भट्टी में .गांधीजी में कम से कम इतनी नैतिकता थी कि उन्होंने अहिंसा ,ब्रह्मचर्य और अस्तेय वगैरह को आचरण में उतारा तब राजनीति में आये .भाई लोगों ने उन पर अमल की कोई जरूरत ही महसूस नहीं की .
फिर पतंजलि जी के लिए आसन का मतलब साधना के लिए स्थिर और सुखपूर्वक बैठने से था ताकि  शरीर को कोई कष्ट और तनाव न हो लेकिन भाई लोग योग के नाम पर  न जाने कहाँ से खोटे सिक्कों और नोटों की तरह  नट-करतब ले आये हैं और उन्हें उनके नाम पर भुना रहे हैं .जबके रेड कार्नर उनके नाम जारी होगा और आईपीएल के सट्टे में भी उन्हें धरा जायेगा .
सूरदास जिन्दगी भर गोपियों से उद्धव के बहाने योग और ज्ञान को गालियाँ दिला –दिलाकर ,पानी पी-पीकर कोसते –कुसवाते रहे .जोग के इस थोक व्यापारी की कितनी लानत –मलामत उन्होंने करवाई – कोकाकोला और मैगी की तरह ,लेकिन जुबान को लगा स्वाद है के दागों की तरह छूटता ही नहीं .आखिर जनता के अच्छे दिन आयें या न आयें वे दागों को ही अच्छा मानने लगेंगे और मजबूरी का नाम फिर से महात्मा गाँधी हो जायेगा .
सूरदास तो  उस अमूर्त योग को गाली देते और दिलाते थे जो सगुण- और सशरीरी प्रेम का विरोधी था .उन्हें क्या -.उन्हें कामसूत्र के आसनों ने ही परेशान कर रखा है ऊपर से यह बला भी उनके ही सिर है .विज्ञापनों के लिए उन्हें अपनी कोमल काया को कहाँ –कहाँ से नहीं तोडना –मरोड़ना पड़ेगा . फिल्मों में प्रवेश के लिए तो उन्हें ये  नट-करतब सरेआम दिखाने पड़ेंगे .बदन तोडू डांस क्या  योगासन  नहीं हैं ?
# शक्तिनगर ,चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741



No comments:

Post a Comment