# मूलचन्द्र गौतम
बाबा पूरी जिन्दगी कलिकाल से परेशान रहे और मरते दम आगे आने वालों को
भी सावधान कर गये .उन्होंने तो लंकाकांड के बाद ही कथा को खत्म कर देने का प्लान
बना लिया था लेकिन उन्हें लगा कि रामकथा के साथ कुछ आत्मकथा –आत्मानुभव भी होना
चाहिए ताकि रामभक्त पहले से ही कलिकाल की भयंकरता का अनुमान लगाकर उससे बच सकें
.यही अनुभव उत्तरकांड में मौजूद हैं जिनकी नकल पर उत्तर आधुनिकता का निर्माण हुआ
है .उनके कथाव्यासों ने रामकथा के व्यापार को ही अरबों तक पंहुचा दिया है जिसकी
कल्पना भी उन्होंने नहीं की थी . अब फटाफट
क्रिकेट और रामकथा की आमदनी बराबर है . इससे रावण की
कालेधन की सोने की लंका और राम की अयोध्या का फर्क ही गायब हो गया है
.कालेधन के उपासकों का एक ही लक्ष्य है –राम नाम जपना पराया माल अपना या मुंह में
राम बगल में छुरी.रामनामी की आड़ में छिपे व्यभिचारी –बलात्कारी –चोर डाकू .कलिकाल यानी घोटाला काल .
यों तो तमाम संतों ने आचरण की शुद्धता पर जोर दिया था लेकिन कबीर और
तुलसी ने ढोंगी –पाखंडियों को सबसे ज्यादा फटकारा था .कथनी और कथनी की एकता न हो
तो रामराज्य का कोई मतलब नहीं है जबकि इनका फर्क ही कलिकाल की बुनियाद है .सोइ
सयान जो परधन हारी -कलिकाल के सयानों का मुख्य कार्य और कार्यक्रम है .यह चाहे
कैसे भी आये .गांधीजी अब पिछड़ेपन के प्रतीक मात्र हैं जो विकास के साधनों में भी
शुद्धता की चाहत रखते थे .उन्हें चुनाव लड़ना पड़ता तो पता चलता कि उनकी जमानत जब्त
हो गयी और यह केवल एक जुमला है जिसे कभी हकीकत नहीं बनना है .जनता को मूर्ख बनाने
का एक हथकंडा मात्र .इसीलिए आज उनका नाम देश की मजबूरी बन चुका है जिसे सिर्फ साख
बनाने का दिखावा करने भर के लिए इस्तेमाल
किया जाता है .
सतयुगी संतों के एक सर्वे में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि देश में रामराज्य और राममन्दिर की स्थापना के लिए चुनाव
हमेशा के लिए स्थगित कर दिए जाने चाहिए क्योंकि समस्त अनाचार –भ्रष्टाचार की जड़
में यही हैं जिनके लिए पार्टियाँ क्या –क्या नहीं करती हैं .कालेधन की अर्थ
व्यवस्था में चुनावों का महत्वपूर्ण रोल है .इसी के लिए देश के चरित्रवान
नेताओं को कोतवाली से लेकर मंत्रालय,कोयला ,हवा ,पानी ,आकाश तक नीलाम करने पड़ते हैं .विदेशों में गली –गली
जाकर देश बेचना पड़ता है –आओ निवेश करो और हमें लूटकर ले जाओ .
# शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741
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