Tuesday, November 8, 2022

भूत की जुगाली

भूत की जुगाली 

# मूलचन्द्र गौतम

सृष्टि के समस्त जीवों पर शोधकर्ताओं के निष्कर्षों में जुगाली पर विशेष रूप में कोई शोध नहीं हुआ है।अब तक ऊँट की जुगाली मशहूर थी लेकिन जब से उसने जुगाली के बाद बिसलेरी का विज्ञापन किया है तबसे उसका यह दर्जा छिन गया है।जुगाली में उसे समाधि की तन्मयता का ब्रह्मानंद प्राप्त होता था जो अब नहीं मिलता।रसखान को गायों की जुगाली पसंद थी जिसमें महारास का आनंद था ।रहीम कबूतर को दुनिया का सबसे सुखी जीव मानते थे।वह  गुटरगूँ करते हुए जब मस्ती में आता था तो क्या कहने ?घोड़े को लगाम में जुगाली का आनंद प्राप्त होता था जिसकी आड़ में वह अपनी गुलामी भूल जाता है और उसी को अपनी जिंदगी समझ लेता है।

कबूतर की तरह जुगाली में बन्दर भी कम नहीं है लेकिन इसकी भूख कभी शांत नहीं होती ।इसके गलुए कितने भी भरे हों यह कभी तृप्त नहीं होता।चौबीसों घण्टे जुगाली में रत ।नुकसान करने के अलावा इसका कोई काम नहीं।ऊपर से बजरंगबली का वरदहस्त।इसीलिए कोई राजनीतिक दल इन्हें छूने छेड़ने की हिम्मत नहीं करता।अब बजरंगबली जनता के सुप्रीम कोर्ट में सफाई तो देने आ नहीं सकते ,अखबार में विज्ञापन नहीं दे सकते कि उनका इस उत्पाती जीव से कोई नाता रिश्ता नहीं ।

जुगाली में सोशल ऐनिमल आदमी भी किसी से पीछे नहीं लेकिन यह भोजन के बजाय रात दिन भूत भविष्य की योजनाओं की जुगाली में तल्लीन रहता है।पुराने दौर में जुगाली के शौकीन साबुत सुपारी मुँह में रखकर जुगाली का मजा लेते थे ।अब उसकी जगह पान , तम्बाकू और  गुटके तथा पान मसाले में  हर दम  तल्लीन रहते हैं।इनकी पिचकारियों की मॉडर्न आर्ट से देश भर के  तमाम कोने अंतरे और दीवारें रंगी पड़ी हैं।कई बार अति दबाव में  दूसरों के ऊपर रंग बिरंगी होली भी हो जाती है।ज्यादा गम हो जिंदगी में तो उसे गलत करने के तमाम तामसिक माध्यम मनुपुत्र के पास हैं। वर्तमान में जीने की आदत ही नहीं।इसका खुरपेंची दिमाग हरदम खुराफातों में ही लगा रहता है।दोस्तों से ज्यादा दुश्मनों की फिक्र रखता है।इसके जासूस हर पल की खबरों से जीना हराम किये रहते हैं।एक एक से बदला चुकाना इसका एकमात्र परम कर्तव्य है।जियो और जीने दो में इसकी कोई आस्था नहीं।जीने नहीं दूँगा फ़िल्म का सुपर हीरो यही है।

यह विराट पुरुषोत्तम अनेक रूपों में स्वाँग उर्फ लीला करता रहता है।स्वाँग भौतिक जगत हित में तो लीला परमार्थ हेतु ।दोनों हाथों में लड्डू ।पाँचों उंगलियाँ घी में सिर कड़ाही में उर्फ बल्ले बल्ले।किसी का बल्ला फेल हो जाय इसका कभी नहीं होता।इस मायने में यह ब्रह्मराक्षस का बड़ा भाई है।बड़े बड़े आदमी काल से हार गये लेकिन काल को इसी ने हराया है। कालातीत कला का स्वामी ।यमराज इसका दास है और मौत दासी । इसलिए अब यह केवल भूत की नहीं तीनों कालों की जुगाली करता रहता है।टेस्ट ट्यूब बेबी के बाद यह समूची सृष्टि का रचयिता है।
-----------------------------
# शक्तिनगर ,चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 9412322067

No comments:

Post a Comment