Sunday, May 28, 2023

राजा के सिर पर सींग

राजा के सिर पर सींग 

# मूलचंद्र गौतम

राजा के सिर पर उगे सींग की लोककथा जिन्होंने अब तक नहीं सुनी है उन्हें जरूर सुननी चाहिए।यह कथा राजा के नंगे होने की कथा से ज्यादा मजेदार है। जब दुनिया में तार का आविष्कार भी नहीं हुआ था तब  नाई समाज में बेतार के तार का काम करते थे ।शादी ब्याह के तमाम मामले सकुशल निपटाने के प्रोफेशन पर उनका विशेषाधिकार था ।उनसे किसी की कोई भी बात छिपी हुई नहीं रहती थी ।उनके एक इशारे भर से पके पकाये रिश्ते हवा में उड़ जाते थे ।इसलिए उन्हें खुश रखना हरेक का परम धर्म था ।खाने और दान दक्षिणा में उनका खास ध्यान रखा जाता था ।गरीब से गरीब आदमी उन्हें देसी घी बूरा से तृप्त रखता था ।हर फसल में उनका हिस्सा रहता था ।

ऐसे एक नापित को राजा के बाल काटते समय अचानक सिर में सींग दिखाई दिया ।यह बात पता चलते ही राजा ने उसे धमका दिया कि यह बात किसी को भी पता चली तो उसकी गर्दन साफ हो जायेगी।अब नाई तो नाई उसके पेट में गैस के गुब्बारे घुमड़ने लगे ।अजीब धर्मसंकट में फँस गया भाई।आखिर उसकी छत्तीस बुद्धि ने समाधान खोजा जिसके तहत उसने एक पेड़ के पास जाकर यह रहस्य खोल दिया तब उसे चैन पड़ा ।थोड़े दिन बाद वह पेड़ काटा गया और उसकी लकड़ी एक सारंगी बनाने के काम में ली गयी ।सारंगी से पहली और एकमात्र धुन यही निकलती रही कि राजा के सिर में सींग ।पूरे राज्य  की जनता में यह बात फैल गयी ।राजा ने नाई को बुलाकर उसका सिर कलम करा दिया और सारंगी को जला दिया।जलने से जो धुआँ उठा वो सारे जंगल में फैल गया ।अब  चारों तरफ  साँय साँय की तरह जंगल में आवाजें गूँजने लगीं राजा के सिर पर सींग ।पोल खुलने पर राजा राज्य छोड़कर ही भाग गया तब उसका इस बला से पीछा छूटा।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी परेशान थे कि नाखून क्यों बढ़ते हैं।यह समस्या मानव समाज में व्याप्त हिंसा  की  मूल प्रवृत्ति से जुड़कर विश्वव्यापी हो गयी थी ।काश वे मनुष्यों के सिर में उगे सींगों को भी देख पाते तो समस्या की गहराई में जा सकते थे  क्योंकि नाखूनों के मुकाबले सींगों का प्रहार ज्यादा घातक और मरणांतक होता है। विश्वभर के राक्षसों और असुरों के मुखौटों में सींगों का होना इसीलिए जरूरी है ।अंहकार का यह सींग अच्छे भले आदमी तक को चैन से नहीं रहने देता ।इसमें हर समय खुजली मचलती रहती है जो  सामने और कोई नहीं तो दीवार में ही सूराख करने में भिड़ा रहता है।जाहिर है वर्चस्व कायम करने का यह सींग हर जीव जंतु को उपलब्ध है कुछ इसे पैना किये रहते हैं, कुछ उखाड़ देते हैं या उखड़वा देते हैं ।पैने सींग वाले परपीड़क हो जाते हैं उखड़वा देने वाले संत ।
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