Wednesday, November 14, 2012

सेमिनारों का हासिल

अभी कथाक्रम के दो दिन के आयोजन में साहित्य के सरोकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चर्चा हुई.स्टालिन के दौर में जितने साहित्यकारों का दमन हुआ उतना कभी और कंहीं नहीं हुआ.चीन में भी वामपंथी तानाशाही है.भारत में आपातकाल इस दमन का प्रमाण है .नरेश सक्सेना ने इस सन्दर्भ में भ्रामक वक्तव्य दिया.विष्णु नगर और अन्य कई लोगों ने अरुंधती के साहस की प्रशंस.A KI

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