पुराने लोग
रामायण के गुटके के अलावा किसी गुटके को नहीं जानते थे नित्य पारायण करने के
लिए था यह चलता फिरता गुटका .जैसे अब वेदांता कम्पनी और वेदांत दर्शन में कोई फर्क
नहीं रह गया है ,वैसे ही अब गुटके का मतलब नशे की पुडिया हो
गया है जो पान का तुरंता विकल्प है .अब जमाना वस्तुओं का
नहीं ब्रांडों का है ,ठंडा मतलब कोकाकोला .जैसे कि आशीर्वाद और
शक्तिभोग आटे के पर्याय हो गए हैं
यही हाल गुटके का है -पान पराग से लेकर राज दरबार ,दिलबहार और भी न जाने -क्या क्या .गगन गुटके
ने तो नकली घी के एक मशहूर ब्रांड को ही पीट दिया है डालडा अपने आप में एक ब्रांड
हो गया है .गुटके के हर ब्रांड के चाहने वाले .सबका अलग-अलग मजा .शान से पेश करते
हैं लोग पुराने चाय -पानी का विकल्प .खातिरदारी का नया तरीका .पाउच को फाड़कर गुटका
मुंह में ढालने का विशिष्ट तरीका .एक से मेरा काम नहीं चलने वाला -तो तुम दो
लो -फिर भी नहीं तो पूरी लड़ी .इसके बिना दिमाग काम नहीं करता .पहले दारू से दिमाग चलता था
-उच्च विचारों का सर्जन होता था -वही जगह गुटके ने ले ली है .इसकी मात्रा और मूल्य
स्तर की पहचान हैं .गुटके के साथ हैसियत का तम्बाकू -तुलसी - बाबा ......इत्यादि
.सब कितने सात्विक .
ऐसे परम पदार्थ पर प्रतिबन्ध लगाने वाले
नेताओं -अदालतों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं .आखिर भारत वेदान्तिओं का देश है --सिर से कफ़न बाँधकर -कुछ भी करने
वालों का देश .तो गुटका क्या कर लेगा ?ये वे दांती अजगर -
मगरमच्छ की तरह सब
कुछ गड़प जायेंगे .जस -जस सुरसा बदन बढ़ावा .......
कौन नहीं जानता चीन .अफीमचियों का देश था .दूसरा नंबर
तम्बाकू का था .क्रांति के बाद सबसे पहले इन्हें ख़त्म किया गया ,तब कहीं पिनकी चीनी सुधरे .और विश्व की एक
नंबर की अर्थव्यवस्था के संचालक हैं जबकि भारत ने आज़ाद होते ही नशे का सेवन बढ़ा दिया .शराब विरोधी गाँधी जी को धता बता दी
.क्योंकि शराब और तम्बाकू राजस्व के सबसे बड़े साधन ज्यादातर कारोबारी विदेशी .बढती
जनसंख्या की मांग बढ़ी .चीन ने बुद्ध को छोड़कर माओ को अपनाया और भारत ने गाँधी जी
को नकारकर उल्टी दिशा में चलना शुरू कर दिया .ओलम्पिक खेलों को पैमाना मानें
तो दोनों देशों की प्रगति का अंतर साफ नजर आता है
भारत अब तम्बाकू
युद्ध के कगार पर है . अदालतें लगा दें गुटके पर प्रतिबन्ध --हम
गतका खेलेंगे .अख़बारों में करोड़ों के विज्ञापन देंगे --सिगरेट -शराब को भी बंद करो
वर्ना हमें भी छूट दो .बंद करोगे तो ब्लेक में चार गुने दामों पर बेचेंगे
.राजा पर रोक नहीं तो प्रजा को कैसे रोकोगे ?हर चेनल पर बहस चलेगी .देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौन से राम हैं ?एक मामूली धोबी ने राम की नाक में नकेल डाल दी थी , यहाँ तो पूरा मोहल्ला लाइव है .राजनीति भी अब टेस्टमैच नहीं ट्वंटी -ट्वंटी है फटाफट
-सफाचट -आज नकद कल उधार .उधार प्रेम की केंची है तो एडवांस लो
गुटका लाबी ऐसे
हथियार नहीं डाल देगी युद्ध में .एक्सप्रेस वे पर दौड़ेगी .आखिर चुनाव में पैसा ही
तो चाहिए -जान थोड़े ही लोगे बच्चे की ?
No comments:
Post a Comment