Saturday, June 14, 2014

पचौरी

सुधीश पचौरी के पंचमकार


मोदी के तीन ‘सकार’-स्केल ,स्किल और स्पीड की चर्चा करके सुधीश पचौरी ने जो शीर्षासनी करतब दिखाया है वह किसी पंचमकारी के ही बस का था .हिंदी साहित्य जगत उनकी इस प्रतिभा पर बम –बम है .बाबा नागार्जुन को इन अपने वृहदारणयकों के इस भविष्य का आभास था .अशोक चक्रधर जिस तरह  अपनी मुक्तिबोधीय क्रांति को कपिल सिब्बल के चरणों में समर्पित कर चुके थे उसी राह के अन्वेषी सुधीश पचौरी हैं ,जिन्हें मथुरा की जलेबी –कचौरी बेहद पसंद है .उत्तर आधुनिकता को उन्होंने रमेश कुंतल मेघ की तर्ज पर इतने जटिल जाल में ढाल दिया है कि इस मीडिया विशेषज्ञ के मन में पंकज पचौरी का स्थान हासिल करने की ललक स्वाभाविक है .राज्यपालों की नियुक्ति से पहले कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की दरकार है सो यह उसी का पंचगव्य है .सत्यनारायण की कथा का यह अंतिम अध्याय नहीं है .अभी तो लीलावती –कलावती की कथा बाकी है .मोदी भगवान उनकी इच्छा पूरी करें यही लकडहारे की  अनतिम अरदास है.

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