Thursday, June 19, 2014

दूल्हा ,घोडा और साईस


मेरी समझ में आज तक यह बात नहीं घुस पाई है कि अश्वमेध यज्ञ के लिए घोडा ही क्यों छोड़ा जाता है और दूल्हे को घोड़ी पर ही क्यों बैठाया जाता है .हमारे गाँव में एक दूल्हे को उपलब्ध न होने के कारण घोड़े पर बैठा दिया गया था तो पता नहीं किस डाह से घोड़े ने उस बेचारे का पटक –पटक कर बुरा हाल कर दिया था .लिंग विमर्श में स्त्री और पुरुष पाठ के समर्थक  इस घटना को लेकर अपने –अपने तर्क दे सकते हैं और बहस को किसी भी तरफ झुका सकते हैं लेकिन वे भी जानते हैं कि लंगोट खींचते ही सुपरमैन क्यों एक मच्छर में बदल जाता है और क्यों एक किन्नर के आखिरी हथियार के तौर पर कपड़े हटाने भर से बड़े से बड़े तीसमारखां को पसीने छूटने लगते हैं ?
हमारे पिताजी इशारों में कहते थे कि हाथ का सच्चा और लंगोटी का पक्का कहीं मार-मात नहीं खा सकता . वे राजा दशरथ की बुढ़ापे में दुर्गति का एकमात्र कारण युवा रानी को मानते थे .तबसे जितने राजा लंगोटी के ढीले हुए किसी न किसी रूप में उसी दुर्गति को प्राप्त हुए ,हो रहे हैं और होंगे .यही हाल हाथ के कच्चों का है .रिश्वतखोरों का यह आलम है कि महीने  में अठन्नी कम होते ही उनके हाथ में खुजली मचने लगती है और वे  शहर में आये नये कोतवाल की तरह खोमचे वालों पर टूट पड़ते हैं फिर तो मंहगाई के अनुपात में उनका महीना तनख्वाह की वेतनवृद्धि की  तरह अपने आप बढ़ जाता है .
पिछले दिनों एक दूल्हे के बाप बूढ़े बेटे को घोड़े पर बिठाकर देश –प्रदेशों में दिखाते फिर रहे थे कि कहीं शादीशुदा की पुनःशादी का डौल बन जाये तो अच्छा हो .सौभाग्य से  यह डौल बन भी गया लेकिन लडकी वालों ने अजीब शर्त रख दी कि शादी के बाद बाप को  बेटे के घोड़े का साईस बनना पड़ेगा .दूल्हे ने बाप को मिन्नतों से राजी कर लिया .बस  तबसे ही बाप रो –रोकर सिसक –सिसककर अपनी करुण कहानी सुनाता फिर रहा है कि कैसे –कैसे उसे घोड़े के दाने-पानी से लेकर , लीद उठाने –मक्खियों के उडाने तक की जिम्मेदारी सम्भालनी पड़ रही है .खरहरा अलग दोनों जून खरहरा अलग से   .
पुराने जमाने में या तो थानेदार घोडा –घोड़ी रखते थे या डकैत .पुलिस से उनकी यारी –दुश्मनी की यह एक मुख्य वजह  होती थी .एक –दूसरे से मिलने पर वे अपने जानवरों की खैर –ख़ुशी बाँटा करते थे फिर जमाना आया रॉयल इन फील्ड का .कोई मच्छर छाप दरोगा इस गाड़ी पर बैठकर जनता की हंसी का पात्र नहीं बनना चाहता था क्योंकि कोई भी दबंग बदमाश उसे मय रिवाल्वर के छीन सकता था .जान तो आखिर पुलिस वाले को भी प्यारी है और आखिर में काम तो जाति ही आएगी तो उससे खाहमखाह दुश्मनी क्यों मोल ले ?कोई आनंद नारायण मुल्ला क्या उसे मौत से बचाने आएगा ?
प्रिय पाठको ,क्या आप पंचतंत्र की तरह इस कथा के  आसपास के पात्रों को पहचानते है?

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