Wednesday, February 4, 2015

राजनीति का खूंटा

# मूलचन्द्र गौतम
अराजक ,हरजाई और खूंटे से बंधे जानवर और आदमी में बड़ा फर्क होता है .द्वार –द्वार घूमने वाले की कोई इज्जत समाज में नहीं होती .इसीलिए  लोग संघ , दल ,गिरोह और अखाड़े में रहने को प्राथमिकता देते हैं .खासकर कलियुग में .क्योंकि बाकी युगों में अकेले दम पर भी काफी कम किया जा सकता था लेकिन कलिकाल में यह नितांत असम्भव है .वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक जानवर/प्राणी है .
यही सोचकर अपुन ने खुद ही मर्जी से एक  खूंटा चुन लिया है ताकि द्वार न भटकना पड़े और सुनना न पड़े –अच्छा खासा मुस्टंडा है मेहनत क्यों नहीं करता भीख मांगता फिरता है .बाबा तुलसीदास भी इस तरह के अपमानों से आजिज आकर आखीर में राम नाम के खूंटे से बंध गये थे .सूरदास भी परेशान होकर गा उठे थे –मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै...जैसे उड जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पे आवे .इसीलिए जहाज को डूबता देखकर चूहे सबसे पहले भागते हैं फिर चुहियाँ .फिर मजबूत जहाज पर आकर टिक जाते हैं . आजकल तकनीकी भाषा में इन्हीं को अवसरवादी कहते हैं .बकने वाले बकते रहें नसीब हमारे साथ है .
गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि जिसका खूंटा मजबूत होता है उसी का जुगाड़ और पौवा फिट होता है .राम जी को यह राजनीति नहीं आती थी इसीलिए उनकी अयोध्या और मन्दिर अब जाकर फाइनल हुआ है ,जबकि काशी मथुरा –नम्बर पर है –भजे जा राधे –राधे .आखिर सोलह कलाओं की ताकत के आगे कौन टिक सकता है . आज चुनाव हो जाये तो कन्हैयाजी बीस साबित होंगे .उनके जितने दांव पेंच थे उतने आज तक किसी के पास नहीं .जिस धोबी पछाड़ को रामचन्द्रजी नहीं काट पाए थे ,उसी दांव से कृष्ण जी ने कंस और कालिया की ऐसी तैसी करके रख दी थी .वह तो आखीर में उनका कस बल चुक गया था वरना बहेलिया भी मारा जाता .
हमारे गाँव में भी एक मुंशी जी थे जिनका खूंटा बहुत मजबूत था .जाने कितने भोले भाले किसानों की जमीनें उन्होंने कौड़ियों के भाव अपने और कुनबे के लोगों के नाम करा लीं थीं .एक सिरफिरे पढ़े लिखे ने उनके खिलाफ पुलिस –कचहरी में जाने की हिम्मत की थी तो मुंशीजी ने मरते वक्त सुपुत्रों से अपने बदन में एक खूंटा ठुकवा लिया था और उसे उखाड़ने के अपराध में सिरफिरे के कुनबे को जेल में ठुंसवा दिया था ,जिनको आजतक जमानत नहीं मिल पाई है .
आवारा और दमदार जानवर और आदमी कभी कभार जोर आजमाइश में खूंटा उखाडकर भागने की फ़िराक में रहते हैं तो मालिक उनके गले में रस्सी और सांकल के साथ चारपाई का एक पाया जिसे घतमल्ला कहते हैं ,बांध दिया जाता है .आजकल उस कृत्या का नया नाम सीबीआई है जो भागने वालों के गले में बांधी  जाती  है .
# शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741




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