Friday, August 11, 2023

लद्दाख यात्रा

यात्रावृत्त

लद्दाख यात्रा :370 के हटने के बाद 

# मूलचंद्र गौतम

1962 के चीन युद्ध के दौरान बड़े भाई श्री भगवती प्रसाद  देशभक्ति के उत्साह में एम ए भूगोल का प्रीवियस छोड़कर आर्मी एजुकेशन कोर में सीधे हवलदार इंस्ट्रक्टर भर्ती हो गये थे ।पचमढ़ी में ट्रेनिंग के बाद उनकी नियुक्ति सीधे लद्दाख बॉर्डर पर हुई थी ।सियाचिन और चुशूल बॉर्डर  से दो महीने की छुट्टियों में जब वे घर आये तो वहाँ के किस्से सुनाया करते थे ।वहाँ की नियुक्तियों में फौजियों को स्पेशल एलाउंस मिलता था । पैंगोंग देखना हमारा प्रिय सपना था ।हम उनकी ऊनी जर्सी ,जैकेट, मोजे और पीटी शू पहनकर देखते थे ।जैकेट तो इतनी गर्म थी कि पसीना आ जाये ।बर्फ में रहनेवाले सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए यह व्यवस्था जरूरी थी ।लद्दाख साइड में c/o 56 एपीओ और नॉर्थईस्ट में 99 एपीओ उनका स्थायी पता था जिस पर चिट्ठियां तो आती जाती थीं लेकिन खोज खबर कोई नहीं मिल सकती थी।
तब से ही फौज में जाने की तमन्ना दिल में रही जो मिलिट्री साइंस के अध्ययन तक सीमित रह गई ।कई युद्धों में भाग ले चुके कर्नल मैत्रा के लिए युद्ध का मैदान हस्तामलकवत था ।सैंड मॉडल से युद्धों को समझना इतना आसान नहीं होता ।फौजी जीवन की कठिनाइयों की चर्चा घर में होती रहती थी ।खासकर युद्धकाल का भय घर में पसरा रहता था ।किसी युद्ध के बाद भाई साहब घर आते तो माँ सत्यनारायण की कथा जरूर करवाती थी ।पूजा पाठ वाले भाई बर्फीले प्रदेशों में भी शराब छूते तक नहीं थे जबकि उन्हें यह मुफ्त उपलब्ध थी ।बताते थे वहाँ बर्फ में एक साधु नंगे बदन तपस्या में लीन रहते थे ।पिताजी के बहुत कहने पर एकाध बार रम की कुछ बोतलें जरूर ले आये थे ।

आतंकवाद से पीड़ित कश्मीर और लद्दाख में जाना ही जान जोखिम में डालना था पर्यटन की तो कोई सोच भी नहीं सकता।धारा 370 हटने के बाद पर्यटन की संभावनाएं बढ़ी हैं हालांकि आज भी यह हिम्मत का काम है ।जनमानस से दुर्घटना का भय एकदम नहीं निकल जाता ।

फिलहाल जब बेटे ने जब सपरिवार कश्मीर जाने का मन बनाया तो मैंने भी लद्दाख यात्रा की योजना बना ली । 28 जून 2023 को वरिष्ठ नागरिकों के एक ग्रुप में जाना तय हो गया ।मेरे साथी बने लखनऊ के सेवानिवृत्त बैंककर्मी यशवीर सिंह ।मार्ग के विकल्प के रूप में हमने हर प्रकार से सुरक्षित हवाई सफर चुना । वाया मनाली या श्रीनगर सड़क मार्ग से यात्रा प्रकृति दर्शन के कारण ज्ञानवर्धक और मनोरंजक हो सकती थी लेकिन यह युवाओं के लिए मुफीद है। श्रीनगर से होते हुए लद्दाख के कारगिल जिले के पाकिस्तानी मोर्चे द्रास को देखा जा सकता है जबकि लेह से पाकिस्तान और चीन के दोनों मोर्चों का जायजा लिया जा सकता है ।बाद में हमने बाइकों से अकेले दुकेले युवाओं  खासकर विदेशी युवतियों को  इस मार्ग पर देखा तो उनके साहस को सलाम करना पड़ा ।यह साहस एवरेस्ट विजय से कम नहीं है। 

छोटे से लेह एयरपोर्ट पर उतरते ही भारतीय सेना की  गम्भीर सुरक्षा का अहसास होता है ।फोटोग्राफी एकदम वर्जित है।योजना के मुताबिक  मार्गदर्शक सोनम मौजूद हैं ।वे हमको लेकर होटल लद्दाख इन आते हैं । वेलकम ड्रिंक के रूप में कहवा पीकर हम कमरे में व्यवस्थित हो चुके हैं । कमरे से हिमालय की बर्फीली चोटियों का मनमोहक दृश्य आकर्षक है ।सूर्य की किरणों से बर्फ रंग बदल रही है जिसे पकड़ना दुर्लभ है ।पहले दिन आराम से शरीर को आगे की कठिन यात्रा के लिए तैयार करना है ।ऊँचाई पर आक्सीजन की कमी महसूस होती है ।धीरे धीरे बॉडी एडजस्ट हो रही है ।मैंने होटल से बाहर निकलकर आस पास का जायजा लिया है ।पर्यटकों से भरे हुए हैं सारे होटल और आते जाते वाहन ।सोनम ने सभी सात यात्रियों को यथोचित निर्देश दिये हैं ।अगले दिन सुबह आठ बजे तैयार रहना है ।रात के भोजन के बाद गहरी नींद आ गयी है।

29 जून 2023

सुबह नाश्ते के बाद ट्रेवलर 1008 यात्रा के लिये तैयार है।यात्री गाड़ी के नम्बर को लेकर सब शुभारंभ की चर्चा में व्यस्त हो गये हैं।सबसे पहले हमें हॉल ऑफ फेम में भारतीय सेना के तमाम जाँबाजों के कारनामों से परिचित कराया गया है ।अद्भुत हैं उनकी वीरता के किस्से जो हकीकत हैं ।परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाएं तो गजब हैं ।लता  मंगेशकर का गाया हुआ गीत ऐ मेरे वतन के लोगो ...मन में गूँजने लगता है ।लोग फोटोग्राफी में तल्लीन हो गये हैं ।
 मैग्नेटिक हिल तक आते आते ड्राइवर ने गाड़ी को ब्रेक लगा दिये हैं लेकिन वह है कि आगे पहाड़ की ओर सरकती जा रही है ।सारे ड्राइवर लोग पर्यटकों को यह कारनामा दिखाकर खुश हैं जबकि यह उनका लगभग रोज का काम है।आगे सिंधु और झंस्कार नदी के संगम पर पहुंचते हैं । तेज हवा और अंधड़ से आँखों में धूल घुस रही है ।खड़े होना मुश्किल हो रहा है ।चश्मे की कमी खल रही है ।दोनों नदियों का जल  प्रयाग के संगम की तरह बिल्कुल अलग दिख रहा है ।सिंधु यहाँ से पाकिस्तान की सीमा की ओर बढ़ती है ।कुछ साहसी लोग राफ्टिंग का आनंद ले रहे हैं ।
लौटते में गुरुद्वारा पत्थर साहिब की यात्रा और लंगर चखने की तैयारी है ।गुरु नानक के यात्रा मार्ग को देखकर लगता है उन्होंने साधनहीनता में भी कितने बीहड़ प्रदेशों की यात्रा की और मुश्किलों का सामना किया ।ऊपर पहाड़ी पर उनका साधना स्थल है ।अनेक किंवदंतियां इस गुरुद्वारे से जुड़ी हुई हैं ।इसका संचालन भारतीय सेना के जिम्मे है ।विशालकाय हाल में अनवरत लंगर चल रहा है ।सारे लोग पूरे विधि विधान और श्रद्धा से गुरुद्वारे में प्रवेश कर रहे हैं ।देसी घी का हलवा सबकी हथेलियों पर प्रसाद के रूप में निरंतर वितरित किया जा रहा है ।बाहर चाय का लंगर चल रहा है ।कारसेवकों का जत्था बर्तन धोने में लगा है ।धर्म की सामूहिकता और सेवा का इससे बड़ा उदाहरण विश्वभर में कहीं नहीं है ।  
 
पहले दिन ही प्रमाणित हो गया कि लद्दाख को पहाड़ी रेगिस्तान क्यों कहते हैं।चारों तरफ सूखे नंगे पहाड़ , पत्थर और रेत ही रेत  । दूर दूर तक हरियाली का कोई  नामोनिशान तक नहीं।

लद्दाख बौद्ध धर्म के केंद्र के रूप में विख्यात है ।विशालकाय मठ और गोम्पा जगह जगह मौजूद हैं ।स्तूपों के प्रतीक सब जगह विद्यमान हैं ।सिक्किम यात्रा में भी बौद्ध धर्म के इस तरह के केंद्रों का अनुभव मुझे था । भव्य शांति स्तूप को देखकर मुझे राजगीर में देखे जापानी बौद्ध मंदिर की याद आ गयी ।वहाँ का सिंगल सीट वाला रोप वे तो बेहद रोमांचक था ।अनीश्वरवादी बुद्ध की प्रतिमाओं की विविधता आकर्षक है ।भारतीय मेधा ने तमाम देवी देवताओं की प्रतिमाओं को अपनी नैसर्गिक प्रतिभा से जो रूप दिया है वह अद्भुत कल्पनाशीलता से ही संभव हो सकता था ।मूर्तिकला और स्थापत्य के विशेषज्ञ आज तक उनके रहस्यों के उद्घाटन में लगे हुए हैं ।लद्दाख की जनता में बुद्ध के प्रति पूरा भक्ति भाव है ।गाड़ी में भी रिनपोछे का आकर्षक फोटो लगा है ।सोनम इन तमाम स्थलों का ब्यौरा सबको दे रहा है ।कुछ अशक्त लोग नीचे ही बैठकर स्तूप की सुंदरता को निहार कर खुश हैं ।
लेह पैलेस आज की यात्रा का आखिरी पड़ाव है ।सत्तरहवीं सदी में राजा सेंगगे नामग्याल ने इस राजमहल का निर्माण कराया था ।नौ मंजिले इस महल का स्थापत्य भव्य है ।बस दरवाजे थोड़े नीचे हैं जिनसे पर्यटकों का सिर बार बार टकराता है ।हिम्मत सिंह अपनी फोटोग्राफी में व्यस्त हैं ।ऊपर की मंजिल पर महल की जानकारी देता एक शो चल रहा है जिसे लोग बड़े गौर से सुन और देख रहे हैं।बाहर तमाम तरह की लोकल दवाओं और सामानों की दुकानें हैं ।दुकानदार बड़ी आशाओं से पर्यटकों को आमंत्रित कर रहे हैं लेकिन कोई कुछ नहीं खरीदता ।

सोनम ने आखिर में सबको लेह के बाजार के बीच खड़ा कर दिया है ।खूबसूरत मस्जिद के सामने बाजार की व्यवस्था गंगटोक के महात्मा गांधी मार्ग की याद दिलाती है ।बीच में बैठने की सीटें हैं और दोनों ओर दुकानें हैं ।दो परिवार सोनम के साथ पश्मीने और कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं । राजू गुप्ता ने पत्नी को खरीदारी के लिए दस हजार का बजट निर्धारित कर दिया है ।मैंने एक आइसक्रीम ली है ।हिम्मत सिंह सब्जियों तक की फोटो बड़ी ललक से ले रहे हैं ।बताते हैं इन्हें वे किसी ब्लॉग में इस्तेमाल करेंगे ।सोनम ने गाड़ी में ही कल का कार्यक्रम बता दिया है ।

30 जून 2023

आज नुब्रा वैली की ओर प्रस्थान है ।नाश्ते के बाद सबने अपनी अपनी जगह मोर्चा संभाल लिया है ।गुप्ताजी खाने पीने के शौकीन हैं ।दो बड़ी अटैचियों में भरपूर सामान है ।हर होटल का मैन्यू वही तय करते हैं ।हमने उन्हें टोली का नायक बना लिया है।आलू जीरा उनकी प्रिय सब्जी है ।हल्दीराम के काफी पराठे उपयोग न होने के अभाव में गायों को खिला दिये गये हैं ।उपमा मुझे भी खिलवाया है ।उनकी पत्नी भी पाक कला में कुशल हैं । गुप्ताजी पुराने फिल्मी गानों के शौकीन हैं तो सोनम को बता दिया है कि कौन कौन से गाने बजेंगे ।कहीं कहीं इंटरनेट के अभाव में गाने चल नहीं पाते तो डाउनलोड से काम चलाना पड़ता है ।सड़कों को लेकर गुप्ताजी गदगद हैं और इसे मोदीजी का कारनामा बताकर बम बम ।रास्ते में मिलिट्री के ट्रकों का काफिला गुजरता रहता है ।मार्ग संकरा होने की वजह से लोकल ड्राइवर काफिले के गुजरने का धैर्यपूर्वक इंतजार करते हैं ।कोई कोई भला फौजी ड्राइवर हाय हलो भी कर लेता है।रास्ता निरन्तर जोखिमभरा होता जाता है ।सड़कें निहायत खस्ताहाल हैं ।अब गुप्ताजी चुप हैं कि लोगों को क्या कहें । इसलिए रिश्वत में बिस्किट और चूरन की गोलियां खिलाकर काम चलाते हैं ।जगह जगह फौजियों के कैम्प और व्यवस्थाएं हैं ।उनके कठोर तप का अंदाजा ही लगाया जा सकता है ।

18379 फीट की ऊँचाई पर स्थित खारदुंग ला पास के पास पहुँचते ही सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है ।तमाम डीजल का धुआं उगलते वाहनों के कारण वातावरण दमघोंटू हो रहा है ।कुछ लोग कहवा पीकर राहत महसूस कर रहे हैं ।

नुब्रा घाटी में थोड़ी सी हरियाली नजर आ रही है ।रेत की रेगिस्तानी आकृतियों में एक अलग तरह का कलात्मक सौंदर्य है ।दो कूबड़ वाले ऊँटों का झुंड सैलानियों की प्रतीक्षा में है कि कब उनके मालिकों को काम मिलेगा ।ऊँटों के छोटे छोटे बच्चे बेहद खूबसूरत लग रहे हैं ।जवान ऊँटों के तने हुए डबल कूबड़ अत्यंत आकर्षक हैं ।बूढ़ों के लटके झूलते कूबड़ उनकी वृद्धावस्था के साक्ष्य हैं हालांकि सवारी उन्हें भी ढोनी हैं ।युवा युगल इस राइडिंग के लिए विशेष प्रसन्न हैं।युवतियों का ऊँटों पर उठते बैठते हुए भयभीत होना अद्भुत आनंद का सृजन करता है ।चार चार पांच पांच ऊँटों की कतार के पीछे उनके बच्चों का चलना जैसे भविष्य की ट्रेनिंग है ।

नुब्रा घाटी में पूरी तम्बुओं की  होटलनुमा बस्ती है जिनमें हमें ठहरना है ।हमारे होटल के बगल से बहती नदी की कलकल ध्वनि नीरवता को भंग कर रही है ।मसाज की  कुर्सीनुमा मशीनें पर्यटकों की थकान उतारने की प्रतीक्षा कर रही हैं ।टेंट में रहने का यह पहला अनुभव है ।

1 जुलाई 2023 

आज पाकिस्तानी बॉर्डर के पास के आखिरी भारतीय  गाँव थांग तक की रोमांचक यात्रा है ।बीच में दिक्सित में मैत्रेय की प्रतिमा है ।बुद्ध का भावी अवतार मैत्रेय के रूप में ही होना है इसलिए इस स्थान का विशेष महत्व है ।विपस्सना के बाद बौद्ध धर्म में मेरी गम्भीर रुचि पैदा हुई है ।इसलिए मैं बुद्ध और मैत्रेय की प्रतिमाओं के अंतर को देखने की जिज्ञासा रखता हूँ ।बुद्ध की मूर्तियों में मुद्राओं के विशेष अर्थ और अभिप्राय हैं ।इस मायने में मैत्रेय के मुकुट ,भाव भंगिमाओं और मुद्राओं में फर्क है ।

बीच में एक प्रपात को देखते हुए हम थांग पहुँच जाते हैं ।एक चचा भारत पाकिस्तान सीमा के विभाजन का आंखों देखा हाल बयान कर रहे हैं ।काँटों की बाड़ के पीछे घाटी में बसे गाँव  फरनू की ओर इशारा करते हुए बताते हैं कि वहाँ भी उनके परिवार के लोग हैं जो अब कभी इधर नहीं आ सकते ,न वे उधर जा सकते हैं ।दिलों के बजाय सीमा की इस दूरी ने उन्हें अलग अलग रहने को अभिशप्त कर दिया है ।इन जड़ पहाड़ों के बीच देशों के विभाजन का कोई तर्क मानवीय रूप में पल्ले नहीं पड़ता ।मालूम हुआ कि पहाड़ का ऊपरी हिस्सा पाकिस्तान का है और नीचे का हिंदुस्तान का ।चोटियों पर दोनों देशों की सेनाओं के मोर्चे लगे हैं ।चचा के साथ बीस पच्चीस नौजवान दूरबीनों से पूरे मंजर को दिखा रहे हैं ।हमें साफ साफ सेनाओं के जवानों की गतिविधियां दिखाई देती हैं ।ग्लोबल विलेज की धारणाओं के बीच इन दो विलेजों की दूरी का तर्क और फर्क किसी को पल्ले नहीं पड़ता ।डर लगता है कि अचानक गोलाबारी होने लगे तो क्या होगा ?

पर्यटकों की भीड़ भाड़ के बीच कुछ स्थानीय महिलाओं ने अखरोट ,खूबानी और बादाम के पैकेट बिक्री के लिए रख लिए हैं ।चखने के लिए खुले हुए अलग रखे हैं ।मैं एक खूबानी का टुकड़ा चख कर देखता हूँ जो उत्तराखंड की खट्टी मीठी खूबानी से अलग एकदम मीठा है ।सोनम रास्ते में अखरोट और खूबानी के पेड़ों को दिखाता है ।दूसरी ओर खाने पीने के होटल हैं ।हम बड़े भारी मन से इस मंजर को देखकर डेरे की ओर लौट पड़े हैं।रात में आयोजित कैम्प फायर के नाच गाने ने इस गम को गलत कर दिया है।सोनम ने अगले दिन की पैंगोंग यात्रा की तैयारी के निर्देश जारी कर दिये हैं।

2 जुलाई 2023 

पैंगोंग को देखने की हसरत लिए हम गंतव्य की ओर चल पड़े हैं । मौसम में थोड़ी ठंडक है ।मार्ग बेहद कठिन होता जा रहा है ।यात्रियों का हिल हिलकर बुरा हाल है ।सब हँस हँसकर सोनम को कोस रहे हैं किस जन्म का बदला ले रहा है ।वह भी मस्त मगन है ।गुप्ताजी घिसे पिटे गानों को झेल रहे हैं ।हिम्मत सिंह सीटें बदल बदलकर देख रहे हैं कहाँ बैठना ज्यादा आरामदायक है ।गनीमत  रही कि रास्ते में पानी के तीव्र प्रवाहों का सामना नहीं करना पड़ा फिर भी दो चार को पार करना ही पड़ा ।ड्राइवर बेहद कुशल है ।सोनम ने हाल ही में चीनी और भारतीय सेना की ताजा झड़प के केंद्र गलवान वैली को दिखाया है ।झड़प के बाद विद्युत और संचार प्रणाली की व्यवस्था को देखकर  भारतीय सतर्कता का अहसास होता है ।हम देखते हैं कि गलवान में त्रिस्तरीय सुरक्षा का 
 इंतजाम किया गया है ताकि आपातकाल में चीनी सेना को कई मोर्चों पर जूझना पड़े ।काफी पहले तो चीनी सेना तांगसी तक पहुंच गयी थी जहाँ से उसे पीछे खदेड़ा गया ।

पैंगोंग के पास आते ही उसके जल के बदलते रंगों का दृश्य साफ दिखने लगा है ।सोनम ने पहले होटल में जाने के बजाय पैंगोंग के किनारे ही ट्रेवलर को रोका है ।अद्भुत दृश्य है  जल इतना साफ है कि झील का तल साफ दिखता है ।सोनम भारतीय और चीनी क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए फोर फिंगर्स को दिखा रहा है जो चीन की सीमा में आता है ।हमें उधर की गतिविधियां दिखाई नहीं देतीं लेकिन सूर्य की किरणों से अठखेलियाँ करती पैंगोंग की लहरें मन मोह लेती हैं ।निश्चित ही थ्री इडियट्स फ़िल्म की शूटिंग के नाते विख्यात पैंगोंग का पर्यटन मूल्य बढ़ गया है ।किनारे किनारे फ़िल्म की तीन विशेष सीटें और आमिर खान और करिश्मा कपूर के स्पेशल स्कूटर के अनेक फोटो दृश्य बना लिए गये हैं जिन पर की जाने वाली फोटोग्राफी की कीमत है ।आमिर के हेलमेट और करिश्मा की ड्रेस में कई युगल खुद को बड़ा ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं ।कुछ उम्रदराज महिलाएं भी करिश्माई करतब से पीछे नहीं हैं भले उनके पति आमिर बनने में झेंप रहे हों ।पहाड़ी पर एक ओर सूर्य के सुनहरे प्रकाश की आभा है तो दूसरी ओर क्षीणकाय चंद्रमा अपनी बारी के इंतजार  में है कि उसे भी अपना रूप दिखाने का मौका मिलेगा। ठंड बढ़ गयी है हवा भी इसलिए सबके गर्म कपड़ों का उपयोग अब हो पाया है।इस सारे कार्यक्रम के बाद हम सब अपने अपने कॉटेज में पसर गये हैं लेकिन मेरा मन नहीं भरा है पैंगोंग के सौंदर्य से ।सो मैं अकेले ही निकल पड़ा हूँ ।पैंगोंग के तट पर शिरीष और कई युवा जोड़े मुझे मिल गये हैं जिन्होंने अपने प्यारे अंकलजी के कई फोटो अपने बेहद सेंसिटिव कैमरे से खींचे हैं जो मेरे कैमरे से संभव नहीं थे ।यहाँ सम्भवतः सुरक्षा कारणों से नेटवर्क एकदम गायब है ।उन्होंने अपना नम्बर दिया है कि वे नेटवर्क आते ही मुझे फोटो भेजेंगे ।हमने एक टैक्सी से पूरे पैंगोंग का जायजा लिया है ।मुझे होटल का नाम ही ध्यान नहीं रहा है इसलिए मैंने ड्राइवर को कह दिया है कि जहाँ 1008 नम्बर की गाड़ी खड़ी हो वहीं उतार दे ।इस गाड़ी के नम्बर का महत्व अब पता चला है।सोनम और यशवीर जी सहित सभी चिंतित हैं ।मेरे पहुँचते ही सबने राहत की सांस ली है।मैंने भी उनकी मलामत की है कि मुझे इस तरह के मुर्दों के साथ आना ही नहीं चाहिए था ।
सुबह का पैंगोंग का नजारा शाम से भी ज्यादा खूबसूरत है ।सूर्य की किरणों से जो जलतरंग बज रहा है वह किसी दिव्य आध्यात्मिक अनुभूति से कम नहीं ।समाधिस्थ होने की इससे बेहतर कोई जगह कहीं नहीं हो सकती।

3 जुलाई 2023

लौटने का मन न होते हुए भी मजबूरी है लौटने की ।सोनम ने सबको डरा दिया है कि लेह लौटने का रास्ता आने से ज्यादा कठिन होगा ।चांग ला पास तक आते आते स्थिति काबू में आ चुकी है ।पहाड़ की चढ़ाई के शौकीन बस एक दो लोग थिकसे मोनेस्ट्री को देखने गये हैं ।अकेले सोनम की शृद्धा है बस ।

थ्री इडियट्स के रेंचो स्कूल के क्लास रूम को देखकर सब फिर से फिल्मी जोश से भर उठे हैं ।लद्दाख इन फिर स्वागत के लिए तैयार है ।दोनों महिलाओं को लेकर सोनम फिर उन्हें खरीदारी कराने बाजार ले गया है ।उसने सबसे टूर के अनुभवों का फीडबैक ले लिया है ताकि आयोजकों को सन्तुष्टि मिले ।

कल सुबह सब जहाँ से आये थे वहाँ लौट जायेंगे ।सोनम समयानुसार सबको एयरपोर्ट पर विदा करने की औपचारिकता निभा रहा है ।
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# शक्तिनगर ,चंदौसी, संभल 244412
मोबाइल 9412322067


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