Saturday, November 12, 2016

माया महाठगिनी हम जानी



मोदीजी ने देश भर में बड़े नोटों का चलन बंद करके जनता को  विवेकानन्द की तरह वेदान्त की ऊंचाइयों पर पंहुचा दिया है .कुछ अज्ञानी ब्रह्म के बजाय जगत को ही सत्य मानने लगे थे ,उन्हें ही इससे सदमा पंहुचा है .उनमें से कुछ को हार्टअटैक ,ब्रेन स्ट्रोक हो चुका है और कुछ कोमा में पंहुच चुके हैं .कुछ इमरजेंसी में तो कुछ आईसीयू में भर्ती हैं .उनके पैरों के नीचे की जमीन रातोंरात गायब हो गयी है . विश्व के आध्यात्मिक गुरू का यह हाल है तो चेलों का क्या होगा ?मौज में  केवल कबीरनुमा फकीर फुकरे हैं जिन्होंने तत्काल झोंपड़ों को फूंक दिया है .तेरा तुझ को सौंपता क्या लागे है मोर ?
 देश में अब चारों तरफ वेदांता और मेदांता का बोलबाला है .प्राचीन ऋषि मुनियों को मालूम नहीं था कि उनकी गहन तपस्या की ऐसी दुर्गति होगी .उनके पवित्र निस्वार्थ आविष्कारों को शीर्षासन करा दिया जायेगा .पतंजलि को तिलांजलि दे दी जायेगी .देश विदेशों में रामकथा और भागवत का व्यापार अरबों में पंहुच जायेगा . केवल बाबा तुलसीदास को यह सत्य मालूम था कि कलिकाल में तपसी धनवंत दरिद्र गृही होंगे,झूठ और मसखरी की कला सिरमौर होगी ,परधन और परस्त्रीहारी सबसे बड़े गुनवंत कहलायेंगे  .उनके लिए वेदांत का मतलब होगा –वे दांती जो माल को चबाने की तकलीफ करने के बजाय अजगर की तरह सीधे निगल जायेंगे  ,कभी उगलने की नौबत ही नहीं आएगी .लेकिन अब वे  इसे न निगल पा रहे हैं  ,न उगलने की हालत में हैं  .इन्हीं क्षणों में उनका प्राणांत हो जायेगा .
बचपन में अलीगढ़ से गोंडा जाने वाली  बसों में कुछ सुभाषित दर्ज रहते थे जो यात्रियों को  निरंतर जगत की गति का बोध कराते रहते थे .जैसे –कर कमाई नेक बंदे मुफ्त खाना छोड़ दे ,झूठा है संसार सारा दिल लगाना छोड़ दे .अब उसी मार्ग पर मुफ्तखोरों के चलते बस सेवा ही बंद हो चुकी है .पैसा हाथ का मैल है .अब उस मैल को  झक्क सफेदी में बदलने वाले इतने साबुन ,सर्फ ,डिटर्जेंट आ चुके हैं कि पलक झपकते काले को सफेद और सफेद को काला किया जा सकता है .वकीलों की दलीलों से सब कुछ सम्भव है .जहाँ झूठी कसम खाना हराम था वहाँ सफेद झूठ बोलना लोगों का सम्मानजनक पेशा बन चुका है .कामांध  कबके अनुजा तनुजा का भेद भूल चुके हैं .बलात्कार रोजमर्रा की हेडलाइन हो चुका है .
 जब से कबीर को महेंद्रा ने खरीदा है तब से उनकी खंजड़ी और इकतारे की आवाज गायब है और उनके तमाम अवधूत, संत राजनीति के सौदागर बन गये हैं , पता ही नहीं चल रहा कि असली नकली में फर्क क्या है ? चीजों से देसी स्वाद गायब है .सब गड्डमड्ड है –हाइब्रिड .बस बुढ़ऊ एक ही रट लगाये जा रहे हैं –माया महाठगिनी हम जानी .
# मूलचन्द गौतम ,शक्तिनगर ,चन्दौसी ,संभल 244412 मोबाइल-9412322067

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