Wednesday, December 2, 2015

बलमा सिपहिया

# मूलचन्द्र गौतम


जब से भैया ने घोषणा की है की प्रदेश में सिपाहियों की भर्ती में लिखित परीक्षा नहीं होगी तब से  गाँवों में रोज दीवाली हो रही है .पिछली बार कुछ जलोटन और महिला विरोधियों ने पुलिस भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच करा दी थी तो अनेक बहनों के सुहाग उजड़ गये थे और लाखों की जमीनें कौड़ियों में बिक गयी थीं .
दरअसल भैया को मालूम है कि प्रदेश में खुशहाली सिर्फ मास्टरों और सिपाहियों के नसीब में है .इसमें भी सिपाहियों की तनखा  मास्टरों से जरूर कम है लेकिन ऊपर की आमदनी ज्यादा है लेकिन शादी के मार्केट में मास्टरी का भाव ज्यादा है .इसमें संतुलन बनाने के लिए सिपहियों के अभिभावक शादी के लिए मास्टरनियों को पहला प्रिफरेंस देते हैं .कोई कोई चतुर सिपहिये बाहुबल और बुद्धिबल से दो दो मास्टरनियों को घेर लेते हैं और जिन्दगी भर ऐश करते हैं .एसी में सफर से लेकर फ्री  बिजली ,रिक्शा ,टेम्पो  और शाम को फड वालों से  डेली सब्जी फलों की उगाही और ह्फ्तावारी अलग से  .जब कोतवाली नीलामी और ठेके पर चल रही हैं तो उन्होंने ही सत्य हरिश्चंद्र बनने का ठेका थोड़े ही ले लिया है .
इस मौके का फायदा निराश हताश शिक्षामित्र भी उठा सकेंगे जो बिना लिखित परीक्षा के सरकारी मजे ले रहे थे लेकिन कोर्ट ने उसमें बाधा डाल दी . अगले झटके में कोर्टों की भी ऐसी तैसी हो जायेगी .भैया ने इसीलिए प्रदेश में  सरकारी स्कूलों में ठेके पर खुल्लमखुल्ला सामूहिक नकल की व्यवस्था करा दी है ताकि मेरिट की कोई दिक्कत किसी को न हो . अब कोई बिल्कुल ही करम का हेठा है तो भैया के बस का नहीं ? बहती गंगा में हाथ न धो मिले तो कोई क्या मदद करेगा .चलनी में छाने और करम टटोले ?अब कोई क्या खाके भैया को सत्ता में आने से रोकेगा ?ये सिपहिये और मास्टर ही भैया के सुदर्शन चक्र का काम करेंगे और चुपचाप बूथ लुटवायेंगे.
महाभारत में भी कृष्ण ने भीष्म पितामह को इसी ट्रिक से हरा दिया था .भीष्म पितामह घूस और  नकल  के विरोधी थे जबकि दुर्योधन इस कला में पारंगत था .ऊपर से शकुनि मामा के जीत के  बेमिसाल हथकंडे थे .पांडवों  के बाप के बस का नहीं था महाभारत जीतना अगर सोलह कलाओं के अवतार उनके साथ न होते .साम ,दाम ,दंड ,भेद एक साथ होने पर ही जीत की गारंटी पक्की होती है .इनमें से कोई एक अकेला चुनाव नहीं जितवा सकता ?
# शक्तिनगर, चन्दौसी, संभल 244412
मोबाइल 8218636741

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